पणजी (विसंकें). गोवा राज्य की राजभाषा कोंकणी और सहराजभाषा मराठी पर अंग्रेजी भाषा का बढ़ता प्रभाव स्थानीय जनता के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. अंग्रेजी में प्राथमिक शिक्षा देने वाले कॉन्वेंट स्कूलों को राज्य सरकार द्वारा दिया जाने वाला अनुदान बंद हो इस मांग को लेकर शुक्रवार, शाम भारतीय भाषा सुरक्षा मंच की तरफ से पणजी में रैली का आयोजन किया गया. रैली में राज्य की पूर्व शिक्षामंत्री शशिकला काकोडकर, गोवा विभाग संघचालक सुभाष वेलिंगकर, फादर आताईद मोझिन, अधिवक्ता अरविंद भाटीकर, लेखक पुंडलिक नायक, अनिल सामंत तथा उदय भामरे सहित गणमान्य लोगों ने भाग लिया.
दिगंबर कामत सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 2011 में मराठी तथा कोंकणी भाषा में प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु विद्यालयों को सरकार द्वारा अनुदान देने की घोषणा की. पर, यह अनुदान वास्तव में गोवा के 273 में से 130 कॉन्वेंट विद्यालयों को मिलना प्रारंभ हुआ. जो खुद को कोंकणी विद्यालय कहलाते थे, पर जिसमें संपूर्ण शिक्षा अंग्रेजी भाषा में दी जाती थी. यह तथ्य सामने आने के बाद भारतीय भाषा सुरक्षा मंच ने इसका खुलकर विरोध किया. गोवा की स्थानीय भाषा कोंकणी या मराठी होते हुए भी अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार कर और अनुदान का फायदा लेकर कॉन्वेंट विद्यालयों की फीस कम कर चर्च ने लोगों को कॉन्वेंट विद्यालयों की ओर आकर्षित करना प्रारंभ किया. जिसके परिणामस्वरुप कॉन्वेंट स्कूल क्रिश्चियनटी के प्रसार का साधन बन गए. जिसे पूर्व कामत सरकार ने नजरअंदाज किया.
गोवा में सत्ता परिवर्तन के पश्चात कॉन्वेंट विद्यालयों का अनुदान सरकार बंद करेगी, ऐसी उम्मीद थी. परंतु अल्पसंख्यक समाज के विद्यालयों को अनुदान देने के नियम का सहारा लेते हुए भाजपा सरकार ने भी यह अनुदान जारी रखा. समाज में बढ़ता रोष देखकर सरकार ने कोंकणी व मराठी स्कूलों को 12 लाख रुपये का इन्फ्रास्ट्रक्चर अनुदान और हर साल 1 लाख रुपये का मेंटेनेंन्स अनुदान देने की घोषणा की. जिसका लाभ लेते हुए सर्वोदय शिक्षण मंडल द्वारा गोवा में 11 मराठी और 1 कोंकणी स्कूल प्रारंभ किए गए. लेकिन, अभी तक सरकार की तरफ से विद्यालयों को कोई भी आर्थिक मदद नहीं मिल पाई.
चर्च द्वारा संचालित अवर डायजेशन सोसाइटी और फोर्स संगठनों ने हाल ही में गोवा में कई जगह आंदोलन, रैलियां, महामार्ग बंद करना, स्कूल बंद रखकर आंदोलन किया. फोर्स संगठन के सचिव सावियो लोपिस तो अनशन पर बैठ गए. तो सत्ताधारी पक्ष के कुछ विधायक उनसे मिलने गए और विद्यालयों का अनुदान कायम रखने का आश्वासन दिया. जिसके विरोध में भारतीय भाषा सुरक्षा मंच ने शुक्रवार को आंदोलन करते हुए अंग्रेजी विद्यालयों को दिया जाने वाला अनुदान बंद करना, शिक्षा क्षेत्र में हो रहा इसाईकरण रुकवाना तथा मराठी एवं कोंकणी भाषा में प्राथमिक शिक्षा देने वाले विद्यालयों को सरकार द्वारा मदद देना, यह तीन मांगें प्रमुख रूप से उठाईं.