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अखिल भारतीय साहित्य परिषद शिमला ने मनायी मुंशी प्रेमचंद जयन्ती

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शिमला (विसंकें). अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की शिमला इकाई ने कथा सम्राट मुंशीप्रेम चंद की जयन्ती के उपलक्ष्य में 31 जुलाई को शिमला के रोटरी टाउन हॉल में मुंशी प्रेमचंद की कहानियों की वर्तमान में प्रासंगिकता विषय पर विचार गोष्ठी एवं कविता पाठ का आयोजन किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता शिमला इकाई के अध्यक्ष सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी के.आर. भारती जी ने की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख एवं मातृवंदना संस्थान के प्रबंधक महीधर प्रसाद जी विशेष रूप से उपस्थित रहे.

सर्वप्रथम शिमला इकाई के अध्यक्ष के.आर. भारती जी ने अतिथियों का स्वागत किया व मुंशी प्रेमचंद जी पर बीजपत्र प्रस्तुत किया. डॉ. हेमराज कौशिक जी ने शोध पत्र पढ़ा और मुंशी प्रेमचंद की कहानियों के प्रसंगों का वर्णन करते हुए आज के संदर्भ में उनकी कहानियों की प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला. उनके जीवन से जुड़े अनेक मार्मिक प्रसंगों का वर्णन किया. सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी विनोद प्रकाश गुप्ता जी ने शोध-पत्र के माध्यम से मुंशी प्रेमचंद की कहानियों में उठाई सामाजिक समस्याओं का व्याख्यान करते हुए कहा कि प्रेमचंद एक अमर साहित्यकार थे और उनकी कहानियों ने हिंदी साहित्य में यथार्थता को नया रूप दिया. मुंशी प्रेमचंद का साहित्य जनता के सुख-दुःख का साहित्य है.

इस अवसर पर कवियों ने दलित चिंतन, नारी उत्पीड़न, छुआछूत, वर्णवादी व्यवस्था, विधवा विवाह, धार्मिक पाखंड, दहेज प्रथा इत्यादि विषयों पर कविताएं पढ़ीं. राम़ऋषि भारद्वाज ने पहाड़ी कविता चाची दी चाह कविता पढ़ी. सुदर्शनवशिष्ठ की कविता को भी श्रोताओं की सराहना मिली. देवराज संसालवी ने अपनी कविता भंगा दे पकौड़े प्रस्तुत की, पत्रकार अश्विनी वर्मा़, भारती कुठियाला ने अनेक विषयों पर कविता पाठ किया. वशिष्ठ, आर.डी. शर्मा, निर्मला चंदेल, पूनम तिवारी, ओमप्रकाश शर्मा, नीतू वर्मा, कर्म सिंह, विक्की प्रभात, डॉ. कर्म सिंह, नरेश देव ने भी कविता पाठ किया. कार्यक्रम की शुरूआत इकाई की सदस्य मीनाक्षी सूद ने सरस्वती वन्दना के साथ की. साहित्य परिषद् शिमला इकाई के उपाध्यक्ष डॉ. अनुराग विजयवर्गीय ने मंच संचालन किया.

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