देहरादून (विसंकें). हिमालय हुंकार पाक्षिक पत्रिका का ‘धर्म और राजनीति’ विशेषांक का विमोचन महादेवी कन्या पाठशाला के सभागार में सम्पन्न हुआ. हिन्दू महाविद्यालय रोहतक के पूर्व प्राचार्य एवं विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन जी ने धर्म के महत्व का वर्णन करते हुए कहा कि क्रूर राजनीति को धर्म ही सही राह पर लाता है. अभी तक हम धर्म का सही अर्थ नहीं समझ पाए हैं, धर्म का सम्बन्ध किसी पंथ या पूजा पद्धति से नहीं है. धर्म का अर्थ व्यापक है और धर्म एक विशेष प्रकार का चिन्तन व आचरण है. उन्होंने धर्म के अर्थ को समझाते हुए कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जो लोक व परलोक का कल्याण करता है और सबको अपने जैसे समान रूप से देखे वही धर्म है.
उन्होंने कहा कि देश में यह बात फैलाई जा रही है कि राम मन्दिर के बाद देश को हिन्दू राष्ट्र बनाया जा रहा है. परन्तु हिन्दू धर्म क्या है, इसे समझना चाहिए. पाश्चात्य भाषा में ‘सेक्युलर’ शब्द से धर्म को नहीं समझा जा सकता, उसके लिए सही धारणा का होना जरूरी है. क्योंकि सही अर्थों में मनुष्य की पावन व कल्याणकारी धारणा का नाम ही धर्म है और जहां संविधान की सीमाएं समाप्त होती हैं, वहीं धर्म की शुरू होती हैं.
उन्होंने कहा कि ‘क्रूकसेड’ और ‘जिहाद’ का इतिहास रक्त रंजित इतिहास है, जबकि हमारे हिन्दू दर्शन की गौरवशाली परम्परा रही है, भगवत गीता व अन्य ग्रंथों में मानव जीवन के मूल्यों का व्याख्यान किया है और यही नहीं देश के सर्वोच्च न्यायालय ने हिन्दू धर्म को परिभाषित करते हुए कहा – ‘‘हिन्दू धर्म पूजा पद्धति नहीं है, यह जीवन जीने की कला है.’’
उन्होंने कहा कि धर्म, दण्ड से भी ऊपर है, स्वराज्य को महात्मा गांधी ने रामराज्य माना था. गांधी का हिन्द स्वराज, एकात्म मानववाद इन दोनों में बहुत ही समानता है क्योंकि राजनीति में धर्म की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए. धर्म के बिना कल्याणकारी राजीनीति नहीं हो सकती. उन्होंने विशेषांक की विवेचना करते हुए कहा कि प्रशासन उसके लिए नीति और नीति के लिए पद्धति यही राजनीति है. वर्तमान राजनीति में अधिकारों की सभी बात करते हैं, परन्तु अपने संवैधानिक कर्तव्यों की भी चर्चा होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि राज किसी का भी हो, परन्तु भारत हिन्दू राष्ट्र है और रहेगा, कोई इसे बदल नहीं सकता. राम-राज्य की कल्पना आज के समय में ‘जीवन मूल्य’ स्थापित करने का उद्देश्य है. धर्म का अनुसरण करने वाले ही कल्याणकारी योजनाएं चला सकते हैं. हिन्दू धर्म कभी भी ‘थियोक्रेटिक’ नहीं हो सकता. धर्म उदासीन और शून्य तो बिल्कुल भी नहीं हो सकता. देश का विकास केवल धर्म के मार्ग पर चल कर ही सम्भव है.
कार्यक्रम के अध्यक्ष गुरु नानक देव एजुकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष गुरुदेव सिंह जी ने कहा कि राजा धर्म को भूल जाए तो उसे स्मरण कराना धर्म का कर्तव्य है. सिख धर्म में राम राज्य को महान व श्रेष्ठ माना गया है. धर्म राजनीति को नियंत्रित करता है, जहां राजनीति भटक जाए तो वहां धर्म उसे ठीक करेगा.
विश्व संवाद केन्द्र के निदेशक विजय कुमार ने कहा कि हिन्दू जीवन प़द्धति में धर्म का विशेष महत्व है जैसे पिता-पुत्र, पति-पत्नी, गुरु-शिष्य, राजा-प्रजा प्रत्येक को अपना-अपना धर्म निभाना होता है. उसी प्रकार धर्म-राजनीति का भी अपना महत्व है जिसे समझना आवश्यक है जो इस विशेषांक में प्रस्तुत है.