करंट टॉपिक्स

‘भारत माता की जय’ हमारे हृदय की भाषा है – डॉ. मोहन भागवत जी

Spread the love

दुनिया भारत को विश्वगुरु की भूमिका में देख रही है – डॉ. मोहन भागवत जी

भोपाल (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि जब हम हिन्दू समाज कहते हैं, तब उसका अर्थ होता है, संगठित हिन्दू. यदि हममें किसी भी प्रकार का भेद और झगड़ा है, तब हम अस्वस्थ समाज हैं. इसलिए स्वस्थ रहने के लिए हमें संगठित रहना होगा, सभी प्रकार के भेद छोड़ने होंगे, विविधताओं का सम्मान करना होगा. यही आदर्श और उपदेश हमारे पूर्वजों के थे. हिन्दू संगठित होगा, तब ही भारत विश्वगुरु बनेगा. सरसंघचालक जी 08 फरवरी को बैतूल में आयोजित हिन्दू सम्मलेन में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि मत-पंथ की भिन्नता को लेकर दुनिया में रक्त-पात किया जा रहा है. अर्थ के आधार पर भी संघर्ष है. इन संघर्षों का समाधान उनके पास नहीं है. समाधान के लिए दुनिया भारत की ओर देख रही है. दुनिया भारत को विश्वगुरु की भूमिका में देख रही है और भारत को विश्वगुरु बनाने का दायित्व हिन्दू समाज पर है. इसलिए हिन्दू समाज का संगठित रहना जरूरी है. इस देश में जाति-पंथ के आधार पर कोई भेद नहीं था. यहाँ सबमें एक ही तत्व को देखा गया. सब एक ही राम के अंश हैं.

सरसंघचालक जी ने कहा कि हमें एक होकर अपने समाज की सेवा करनी होगी. समाज के जो बंधु कमजोर हैं, पिछड़ गए हैं, हमारा दायित्व है कि उन्हें सबल और समर्थ बनाएं. हमें एक बार फिर से देने वाला समाज खड़ा करना है. बहुत वर्षों पहले अंग्रेजों ने हमें टूटा हुआ आईना पकड़ा दिया था. इस टूटे हुए आईने में हमें समाज में भेद दिखाई देते हैं. हमें अंग्रेजों के इस आईने को फैंकना होगा. उन्होंने बैतूल में हिन्दू सम्मेलन के आयोजन का उद्देश्य बताया कि यह प्राचीन भारत का केंद्र बिंदु है. संगठित हिन्दू समाज का संदेश यहाँ से सब जगह प्रभावी ढंग से जाएगा. समाज को सबल बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाना, इस हिन्दू सम्मेलन का उद्देश्य है.

इस अवसर पर प्रख्यात रामकथा वाचक पंडित श्यामस्वरूप मनावत जी ने कहा कि दुनिया में केवल भारत ही है, जिसने विश्व कल्याण का उद्घोष किया. हमारे ऋषि-मुनियों ने यह नहीं कहा कि केवल भारत का कल्याण हो, बल्कि वे बार-बार दोहराते हैं कि विश्व का कल्याण हो और प्राणियों में सद्भाव हो. दुनिया में एकमात्र भारतीय संस्कृति है, जिसमें कहा गया है कि धर्म की जय हो और अधर्म का नाश हो. यहाँ यह नहीं कहा गया कि केवल हिन्दू धर्म की जय हो और बाकि पंथों का नाश हो. भारत भूमि ही है, जहाँ सब पंथों का सम्मान किया जाता है. उत्तराखण्ड से आए आध्यात्मिक गुरु संत सतपाल महाराज ने महिला सशक्तिकरण के लिए समस्त समाज से आह्वान किया. उन्होंने कहा कि संत समाज का यह दायित्व है कि आध्यात्मिक शक्ति के जागरण से पुन: इस देश में मातृशक्ति की प्रतिष्ठा को स्थापित करे. समाज को भी महिला सशक्तिकरण के लिए आगे आना होगा. इस अवसर पर मंच पर संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी, आयोजन समिति के अध्यक्ष गेंदूलाल वारस्कर, सचिव बुधपाल सिंह ठाकुर और वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. शैला मुले भी उपस्थित थीं. कार्यक्रम का संचालन मोहन नागर ने किया. इस अवसर पर गोंडी भाषा में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र ‘लोकांचल’ के विशेषांक और बैतूल पर केन्द्रित स्मारिका ‘सतपुड़ा समग्र’ का विमोचन भी किया गया.

हिन्दुस्थान में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिन्दू है

हिन्दू सम्मेलन में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि जापान में रहने वाला जापानी, अमेरिका का निवासी अमेरिकन और जर्मनी का नागरिक जर्मन कहलाता है, इसी प्रकार हिन्दुस्थान में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिन्दू है. लोगों के पंथ-मत और पूजा पद्धति अलग-अलग हो सकती है, लेकिन हिन्दुस्थान में रहने के कारण सबकी राष्ट्रीयता एक ही है – हिन्दू. इसलिए भारत के मुसलमानों की राष्ट्रीयता भी हिन्दू है. भारत माता के प्रति आस्था रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिन्दू है. मत-पंथ अलग होने के बाद भी हम एक हैं, इसलिए हमको मिलकर रहना चाहिए.

सरसंघचालक ने ये संकल्प कराए – 1. समाज के कमजोर बंधुओं को समर्थ बनाने का प्रयास करूंगा. 2. अपने घर-परिसर में पर्यावरण की रक्षा करूंगा. 3. अपने घर में अपने जीवन के आचरण, महापुरुषों के प्रेरक प्रसंग अपने परिवार को सुनाकर भारत माता की आरती करूंगा. 4. अपने देश का नाम दुनिया में ऊंचा करने के लिए जीवन में सभी कार्य परिश्रम के साथ निष्ठा और प्रामाणिकता से करूंगा. 5. भेदभाव नहीं करूंगा. समाज को संगठित रखने का प्रयास करूंगा.

भारत माता की जय है हृदय की भाषा

हिन्दू समाज में भाषा, जाति और पूजा पद्धति की भिन्नता है, लेकिन इससे हमारी एकता को कोई खतरा नहीं है. यह विविधता तो हमारी पहचान है. हमारी हृदय की भाषा तो एक है. ‘भारत माता की जय’ हृदय की भाषा है. उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से पश्चिम में सभी जगह भारत माता की जय, इन्हीं शब्दों में बोला जाता है.

बैतूल जेल, जहाँ गुरुजी को कैद में रखा गया

अपने प्रवास के दौरान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी 11 बजे बैतूल जेल भी पहुंचे. इस दौरान सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी जी और क्षेत्र संघचालक अशोक सोहनी जी भी उनके साथ थे. 68 साल पहले वर्ष 1948 में प्रतिबंध के दौरान संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर ‘गुरुजी’ को बैतूल जेल में ही रखा गया था. गुरुजी को यहाँ तीन माह बंद करके रखा गया था. उन्हें जिस बैरक में रखा गया था, आज उस बैरक में उनका चित्र लगा है. डॉ. भागवत ने गुरूजी के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *