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महिला स्वावलम्बन का मतलब नारी मुक्ति नहीं, नारी शक्ति है – चन्द्रिका चौहान

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IMG_20150919_120101मेरठ (विसंकें). मातृमण्डल सेवा भारती पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र द्वारा आयोजित महिला स्वावलम्बन कार्यशाला को सम्बोधित करते हुये राष्ट्रीय सेवा भारती की स्वावलम्बन प्रमुख चन्द्रिका चौहान ने कहा कि देश की प्रगति में हिस्सेदारी पाने के लिए प्रत्येक महिला को स्वावलम्बी बनना चाहिए. सेवा भारती ने पिछले 12 सालों में देश की लाखों महिलाओं को स्वावलम्बी बनाया है. महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने का मुख्य उद्देश्य समाज के दलित, पिछड़े एवं कमजोर परिवारों की महिलाओं का आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से उत्थान करना है. आज देश में महिला स्वावलम्बन का मतलब नारी मुक्ति बताया जाता है, परन्तु सेवा भारती का मतलब नारी मुक्ति नहीं, नारी शक्ति से है.

शताब्दी नगर स्थित माधवकुंज सरस्वती शिशु मन्दिर में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में चन्द्रिका चौहान ने कहा कि आज हमारे समाज में महिलाएं बहुत कुछ करने के लिए तैयार हैं, परन्तु सही दिशा न मिल पाने एवं आर्थिक रूप से पिछड़ेपन के कारण कुछ कर नहीं पाती हैं. इस कारण से वे निराशा एवं नकारात्मक सोच की शिकार हो जाती हैं. सेवा भारती, ऐसी बहनों में आशा जगाकर उनके पथ प्रदर्शक का काम करती है. महिला स्वावलम्बन का अर्थ है, परिवार को आर्थिक रूप से समर्थ बनाने में सहयोग करना और साथ ही परिवार को सांस्कृतिक रूप से भी मजबूत रखना.

IMG_20150919_121557कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सिंडीकेट बैंक के प्रबन्धक पंकज कुमार त्रिपाठी ने वर्तमान में सरकारों द्वारा महिला स्वावलम्बन के लिये चलायी जा रही योजनाओं की जानकारी देते हुये मातृमण्डल को सभी प्रकार के सहयोग का आश्वासन दिया. कार्यक्रम की अध्यक्षा दमयंती शर्मा एवं राष्ट्रीय सेवा भारती के अध्यक्ष सूर्यप्रकाश टांक ने भी अपने विचार रखे. इस अवसर पर सेवा भारती के क्षेत्र संगठन मंत्री अनिल कुमार, क्षेत्र सेवा प्रमुख गंगाराम जी एवं मेरठ, ब्रज, उत्तराखण्ड़ प्रान्त के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.

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