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लोकतंत्र का महापर्व – जनजातीय समुदाय की सहभागिता बढ़ी, शोम्पेन जनजाति ने पहली बार मतदान किया

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नई दिल्ली. लोकतंत्र के महापर्व में पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) समुदायों और अन्य जनजातीय समूहों का योगदान बढ़ा है. यह पिछले दो वर्षों में निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के प्रयासों का प्रतिफल है. निरंतर प्रयासों के कारण आम चुनाव 2024 के पहले और दूसरे चरण में विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में जनजातीय समूहों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. ऐतिहासिक रूप से ग्रेट निकोबार की शोम्पेन जनजाति ने पहली बार आम चुनाव में मतदान किया. निर्वाचन आयोग के विशेष प्रयासों ने पीवीटीजी का 100 प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित किया.

भारत के निर्वाचन आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में पीवीटीजी समुदायों का मतदाताओं के रूप में नामांकन और मतदान प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए. मतदाता सूची में उन्हें शामिल करने के लिए विशेष आउटरीच शिविर आयोजित किए गए. नवंबर 2022 में पुणे में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, विशेष सारांश संशोधन 2023 के राष्ट्रीय स्तर के शुभारम्भ के अवसर पर, मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने पीवीटीजी को देश के मतदाता के रूप में नामांकित करने के लिए आउटरीच पर जोर दिया था.

मध्य प्रदेश से बैगा जनजाति और ग्रेट निकोबार से शोम्पेन जनजाति

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में बैगा, भारिया और सहरिया नामक कुल तीन पीवीटीजी समुदाय हैं. 23 जिलों की कुल 9,91,613 पीवीटीजी आबादी में से 6,37,681 नागरिक 18 साल से अधिक आयु के हैं और ये सभी मतदाता सूची में पंजीकृत हैं. राज्य में संपन्न दो चरणों के मतदान में बैगा और भारिया जनजाति के मतदाताओं में काफी उत्साह देखा गया. वे सुबह-सुबह मतदान केंद्र पर पहुंच गए, वोट देने के लिए अपनी बारी का इंतजार किया और महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की.

मतदान केंद्रों पर जनजातीय समूहों के स्वागत के लिए जनजातीय थीम पर आधारित मतदान केंद्र भी बनाए गए थे. मध्य प्रदेश के डिंडोरी में ग्रामीणों ने स्वयं मतदान केंद्रों को सजाया था.

कर्नाटक

कर्नाटक के पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र पीवीटीजी जेनु कुरुबा और कोरागा समुदाय के आवास हैं. आम चुनावों से पहले, सामाजिक और आदिवासी कल्याण विभागों के सहयोग से मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) कर्नाटक कार्यालय ने मतदाता सूची में पात्र पीवीटीजी का 100% नामांकन सुनिश्चित किया. जिला एवं एसी स्तर की आदिवासी कल्याण समितियां गठित की गईं जो सभी पीवीटीजी समुदाय का नामांकन सुनिश्चित करने और इनके बीच चुनावी जागरूकता पैदा करने के लिए नियमित रूप से बैठकें करती थी. पूरी आबादी में 55,815 पीवीटीजी हैं, उनमें से 39,498 लोग 18 से अधिक आयु के हैं और ये सभी मतदाता सूची में पंजीकृत हैं.

मतदान के दिन पीवीटीजी मतदाताओं को मतदान के लिए आकर्षित करने के प्रयास में आदिवासी थीम पर 40 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं.

केरल

केरल में, पांच आदिवासी समुदायों को पीवीटीजी के रूप में वर्गीकृत किया गया है. वे कासरगोड जिले के कोरगा, नीलांबुर घाटी तथा मलप्पुरम जिले के चोलानायकन, अट्टापडी तथा पलक्कड़ जिले के कुरुंबर, परम्बिकुलम, पलक्कड़ और त्रिशूर जिले के कादर, वायनाड, कोझिकोड, तथा पलक्कड़ जिले के कट्टुनायकन हैं. 31 मार्च, 2024 तक पीवीटीजी की कुल आबादी 4750 है, जिनमें से 3850 लोगों ने विशेष अभियानों और पंजीकरण शिविरों के माध्यम से सफलतापूर्वक मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराया है. इनके बीच चुनावी साक्षरता के साथ-साथ मतदान के दिन परिवहन का प्रावधान सुनिश्चित किया गया.

केरल के कुरुम्बा आदिवासी मतदाताओं ने एक प्रेरणादायक उपलब्धि हासिल की. वे केरल के साइलेंट घाटी के मुक्कली क्षेत्र में मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए पहले सुलभ वन क्षेत्र तक घंटों पैदल चले, फिर वहां से उनके परिवहन की सुविधा के लिए वाहन उपलब्ध कराए गए थे. 80 और 90 वर्ष की आयु के कई आदिवासी मतदाताओं ने लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण पेश किया. 817 मतदाताओं में 417 महिलाएं थीं.

त्रिपुरा

रियांग त्रिपुरा के उन जनजातीय समूहों में से एक है जो एकाकी भावना प्रदर्शित करता है. वे राज्य के विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी संख्या में धलाई, उत्तर, गोमती और दक्षिण त्रिपुरा जिलों के विभिन्न स्थानों जैसे दूरदराज और पहाड़ी इलाकों में रहते हैं. ब्रू समुदाय, जिसे रियांग समुदाय के नाम से भी जाना जाता है, मिजोरम राज्य से त्रिपुरा राज्य में चले गए और अब सरकार द्वारा प्रदान किए गए कई पुनर्वास स्थलों में रह रहे हैं.

ओडिशा

ओडिशा में 13 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) रहते हैं. पौडी भुइया, जुआंग, सौरा, लांजिया सौरा, मनकिर्डिया, बिरहोर, कुटिया कोंधा, बोंडो, दिदाई, लोढ़ा, खारिया, चुकुटिया भुंजिया, डोंगोरिया खोंड. ओडिशा में इनकी कुल आबादी 2,64,974 है.

पंजीकरण अभियान के साथ, सभी 1,84,274 पात्र पीवीटीजी का मतदाता सूची में 100% नामांकन हासिल किया गया. विशेष पंजीकरण अभियान के साथ-साथ, पारंपरिक लोक कलाओं और सामुदायिक जुड़ाव को शामिल करने वाला एक बहुआयामी दृष्टिकोण 100% पीवीटीजी नामांकन सुनिश्चित करने में सहायक रहा है. पाला और डस्कथिया जैसे सांस्कृतिक रूपों के साथ-साथ स्थानीय भाषाओं में नुक्कड़ नाटकों ने मतदाता शिक्षा और जागरूकता के लिए शक्तिशाली मीडिया के रूप में काम किया.

इन समुदायों को चुनावी प्रक्रिया के बारे में शिक्षित करने के लिए पीवीटीजी क्षेत्रों में मोबाइल प्रदर्शन वाहन चलाए गए थे और 20,000 से अधिक पीवीटीजी ने उन्हें मतदान प्रक्रिया से परिचित कराने के लिए मॉक पोल में भाग लिया था.

ओडिशा में पौडी भुइयां जनजाति (पीवीटीजी) के मतदाताओं ने बोनाई जिले के अधिकारियों के प्रयासों से मजबूत होकर सांस्कृतिक रूप से प्रेरित कार्यक्रम आयोजित किए.

पीवीटीजी के क्षेत्रों में 666 थीम-आधारित मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो तार्किक बाधाओं को दूर कर रहे हैं और उनकी पहुंच के भीतर मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित कर रहे हैं. राज्य में आगामी चरणों (चरण 4-7) में मतदान होना है.

बिहार

बिहार में, माल पहाड़िया, सौरिया पहाड़िया, पहाड़िया, कोरवा और बिरहोर सहित पांच पीवीटीजी समुदाय हैं. राज्य के दस जिलों में इनकी आबादी 7631 है. इनमें से पात्र 3147 लोगों को मतदाताओं के रूप में नामांकन किया गया.

झारखंड

झारखंड में 32 आदिवासी समूह है. इनमें से 9 अर्थात् असुर, बिरहोर, बिरजिया, कोरवा, माल पहाड़िया, पहाड़िया, सौरिया पहाड़िया, बैगा और सावर पीवीटीजी से संबंधित हैं. एसएसआर 2024 के दौरान, झारखंड में पीवीटीजी के आवास क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाए गए, जो ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्र हैं. इसके परिणामस्वरूप 6,979 नामांकन हुए. 18 साल से अधिक उम्र वाले 1,69,288 पात्र पीवीटीजी अब मतदाता सूची में पंजीकृत हैं. कुल पीवीटीजी जनसंख्या 2,58,266 है.

गुजरात

गुजरात के 15 जिलों में कोलघा, कथोडी, कोटवालिया, पधार और सिद्दी आदिवासी समुदाय हैं जो पीवीटीजी से संबंधित आदिवासी समूह हैं. राज्य में पात्र पीवीटीजी का 100% पंजीकरण सुनिश्चित किया गया है. मतदाता सूची में कुल 86,755 पंजीकृत हैं. गुजरात में आम चुनाव 2024 के तीसरे चरण में मतदान हो रहा है.

तमिलनाडु

तमिलनाडु में, छह पीवीटीजी अर्थात् कुट्टुनायकन, कोटा, कुरुम्बा, इरुलर, पनियान, टोडा हैं. इनकी कुल आबादी 2,26,300 है. 18 साल से अधिक 1,62,049 पीवीटीजी में से 1,61,932 पंजीकृत मतदाता हैं. 23 जिलों में फैले एक व्यापक अभियान में कोयंबटूर, नीलगिरी और तिरुपथुर जैसे क्षेत्रों पर महत्वपूर्ण ध्यान देने के साथ पीवीटीजी समावेशन को प्राथमिकता दी गई है.

उत्साही मतदाता घने जंगल, जलमार्ग आदि विभिन्न साधनों से मतदान केंद्र तक पहुंचे और लोकसभा चुनाव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की.

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में 1,86,918 की संयुक्त आबादी के साथ पांच पीवीटीजी पाए जाते हैं. इनके नाम अबूझमाड़िया, बैगा, बिरहोर, कामार और पहाड़ी कोरवा हैं जो राज्य के 18 जिलों में फैले हुए हैं. 18 साल से अधिक लोगों की संख्या 1,20,632 है और इन सभी को मतदाता सूची में पंजीकृत किया गया है.

गरियाबंद में मतदाता शिक्षा अभियान, कांकेर में अतिरिक्त वाहनों की तैनाती और कबीरधाम जिले में बैगा आदिवासी थीम के तहत पर्यावरण-अनुकूल मतदान केंद्रों की स्थापना और टिकाऊ चुनाव की दिशा में एक कदम के रूप में सजावट के लिए बांस, फूल, पत्तियां जैसी प्लास्टिक मुक्त प्राकृतिक सामग्री का उपयोग शामिल है.

भारत में 8.6 प्रतिशत जनजातीय आबादी है. इनमें आदिवासियों के 75 समूह शामिल हैं जो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) हैं. पहले के दुर्गम क्षेत्रों में नए मतदान केंद्रों के बनाए जाने से बड़े पैमाने पर पीवीटीजी को शामिल किया गया है. पिछले 11 राज्य विधान सभाओं के चुनावों में, 14 पीवीटीजी समुदायों अर्थात् कमार, भुंजिया, बैगा, पहाड़ी कोरवा, अबूझमाड़िया, बिरहोर, सहरिया, भारिया, चेंचू, कोलम, थोटी, कोंडारेड्डी, जेनु कुरुबा और कोरगा से लगभग 9 लाख पात्र मतदाता थे.