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सरकार्यवाह जी भारत बांग्लादेश सीमा पर तीन बीघा कोरिडोर पहुंचे

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Kuchlowadi Andolan mein shaheedon ko shradhanjali arpit karte hue bhayyajiसिलीगुड़ी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश (भय्याजी) जोशी 25 सितंबर को कूचबिहार जिले में भारत बांग्लादेश सीमा पर तीन बीघा कोरिडोर देखने के लिये पहुंचे. यहां पर तैनात सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी ने भय्याजी का स्वागत कर उन्हें इस क्षेत्र की वर्तमान स्थिति एवं 1992 से अब तक चले घटनाक्रम व भारतीय सुरक्षा व्यवस्था से अवगत कराया. तीन बीघा गलियारे में सरकार्यवाह जी के साथ अखिल भारतीय सह-प्रचारक प्रमुख श्री विनोद कुमार जी, केन्द्रीय समिति के सदस्य श्री सुनील देशपाण्डे जी, क्षेत्र प्रचारक (पूर्व क्षेत्र- उत्तरबंग, दक्षिण बंग व उत्कल) अद्वैतंचरण दत्त, उत्तरबंग प्रांत प्रचारक गोविन्द घोष, सह-प्रान्त प्रचारक जलधर माहातो, दक्षिणबंग के सह-प्रान्त प्रचारक विद्युत मुखोपाध्याय, कूचबिहार के विभाग कार्यवाह साधन कुमार पाल सहित अनेक कार्यकर्ता तीन बीघा गये थे.

सीमा सुरक्षा बल  के अधिकारी ने बताया कि 1992-1996 तक तीन बीघा कोरिडोर एक घंटे की अवधि के लिए  भारतीय नागरिकों के आवागमन हेतु तथा परवर्ति एक घंटा बांग्लादेशी नागरिकों के लिये खुलता था. उनके दो एन्क्लेव – दहग्राग एवं अंगरापोता को बंगलादेशी मूल के लोगों के आने जाने के लिये खुले रहते थे. यह आवागमन सायं तक चलता था. इसके बाद इसमें परिवर्तन कर इसको  6-6 घंटे का कर दिया गया. 5 नवंबर 2011 को भारत के प्रधानमंत्री ने 180 सदस्यों के प्रतिनिधि मण्डल के साथ ढाका जा कर तीन बीघा कोरिडोर एक रुपये के बदले 99 साल तक बांग्लादेश को समर्पित कर दिया.

2उन्होंने बताया कि तीन बीघा कॉरिडर बांग्लादेश को दे देने से भारत के कूच बिहार जिले के मेखलोगंज तहसील में कुचलोवाड़ि इलाके के 27 गाँवों में रहने वाले हजारों लोगों का भारत से सीधा संपर्क टूट गया. उस समय की वाम मोर्चा सरकार के प्रमुख ज्योति बसु एवं नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने कुचलोवाड़ि के निवासियों की समस्या दूर करना तो दूर की, उनकी व्यथा को कभी सुना व समझा ही नहीं. सामरिक महत्व के इस स्थान के लिए वहां पर भाजपा के दिवंगत नेता मनमोहन राम तथा रा.स्व.संघ के कार्यकर्ता गिरिनाथ राय ने स्थानीय लोगों को साथ लेकर कुचलोवाड़ि-संग्राम कमेटी बनाई तथा प्राण संकट में डाल कर आन्दोलन करते रहे. इस आन्दोलन को कुचलने के लिए सरकार और विपक्ष लेफ्ट-कांग्रेस का दमन चक्र चलता रहा. 80 के दशक से आरम्भ हुए इस आन्दोलन में तीन लोग पुलिस की गोली से शहीद हो गये. 1992 में लाल कृष्ण आडवाणी जी यहाँ आये थे लेकिन वाम मोर्चे की ज्योति बसु सरकार ने भारी पुलिस बल तैनात कर 26 जून 1992 को तीन बीघा बांग्लादेश को दे दिया.

3कुचलोवाड़ि इलाके के निवासियों की पीढ़ादायक  स्थिति से स्थानीय लोगों ने सरकार्यवाह जी को अवगत कराया, उन्होंने गांववालों की बातों को सहृदयता से सुना. बाद में श्री भय्याजी ने आन्दोलन में शहीद हुए कार्यकर्ताओं को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. वहां उन्हें ऐसे अनेक लोग मिले जो महीनों तक आन्दोलन के कारण जेल में रहे. उनमें से एक प्रफुल सरकार ने अपनी कमीज उतारकर पुलिस की गोली का दाग दिखाया. उन्होंने सरकार्यवाह जी को बताया कि 1992 की 26 जून को भाजपा एवं एबीवीपी के हजारों कार्यकर्ता तीन बीघा क्षेत्र के लिए पुलिस की लाठी-गोली खाते हुए जेल गये. लोगों ने बताया कि बांग्लादेश के जो दो गलियारे भारतीय भूखण्ड में तीन बीघा कॉरिडर के बदले शामिल किये गए, उस दहग्राम और अंगरापोता में कोई बाढ़ नहीं लगायी गयी है. कई बांग्लादेशी आसानी से भारत में वहां से घुसपैठ करते हैं. श्री जोशी जी ने कहा, कुचलोवाड़ि के लोगों को शेष भारत भूमि से जुड़े रहने के लिये तीन बीघा कॉरिडर के ऊपर से एक उपरगामी सेतु बनना चाहिये जिससे कि कुचलोवाड़ि अंचल के लोडा तहसील में सदर मेखलोगंज से आवागमन निर्बाद्ध हो सके.

Bhayyaji in koochbihar

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