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हम अपने संस्कारों से ही पूरी दुनिया को संस्कारवान बनाएंगे – शरदराव ढोले जी

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समाज बदल रहा है, किन्तु हमें और आगे जाना है – नितिन गडकरी जी

जयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्म जागरण समन्वय विभाग के अखिल भारतीय प्रमुख शरदराव ढोले जी ने कहा कि हिन्दू धर्म में महिला को देवी और माता के रूप में माना है, यहां गंगा, गाय, तुलसी, सृष्टि अर्थात जन्म भूमि को भी माता के रूप में पूजा जाता है. किन्तु ईसाई और मुस्लिम धर्म में महिलाओं को उतना सम्मान प्राप्त नहीं होता. शरद जी जयपुर के जेएलएन मार्ग स्थित महाराणा प्रताप सभागार में अखिल भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान द्वारा आयोजित भारत की संस्कृति – पहचान, चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर आयोजित राष्ट्रीय व्याख्यान को सम्बोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि भूखे रह कर दूसरों को खिलाना ही भारतीय संस्कृति है और हम अपने संस्कारों से ही पूरी दुनिया को संस्कारवान बनाएंगे. परस्पर विरोधी लोगों को साथ बैठाने का संस्कार हिन्दू समाज में ही है. राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत बहुत पुरानी है, और आने वाले समय में राजस्थान अग्रणी स्थान पर होगा, क्योकि राजस्थान की पावन धरती पर जो अपनों से बिछड़े लोगों को पुनः अपनी संस्कृति के साथ जोड़ने के लिए वंशावली लेखन का कार्य प्रारम्भ हुआ, यह सराहनीय है.

शरदराव जी ने संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्रद्धेय मुकन्दराव के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह अत्यन्त सहज और सरल प्रकृति के धनी थे. उन्होंने समाज से बिछड़े बन्धुओं को पुनः एक करने के लिए धर्मजागरण समन्वय द्वारा अनेक प्रयास किये, जिसमें गुजरात का शबरी कुम्भ और मध्यप्रदेश का नर्मदा कुम्भ एक विलक्षण उदाहरण रहे. इन दोनों सामाजिक कुम्भों में लाखों की संख्या में आदिवासी, जाति, जनजाति के लोगों का सहभाग रहा, जो अपने आप में अनूठा प्रयास था.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी ने कहा कि समाज बदल रहा है, जो आज है, वो कल नहीं था और न कल होगा. देश को स्वराज दिलाने के लिए अनेक पीढ़ीयों का जीवन लगा है, किन्तु हमें और आगे जाना है. हम तकनीक, ज्ञान-विज्ञान में आगे निकल रहे हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था आज मजबूत स्तर पर है. भारत में हमें संस्कृति, इतिहास, विरासत में मिली है. जिसके कारण हमारी परिवार पद्धति आज भी जीवित है. विदेशी संस्कृति मात्र भोग विलास से पूर्ण है और वह सदैव शांति की तलाश करते हैं. इतिहास साक्षी है कि भारत में किसी भी हिन्दू राजा ने कभी किसी पर अत्याचार नहीं किया, क्योंकि हिन्दू संस्कृति में सहजता का सदैव भाव रहा है. उन्होंने कहा कि आज योग और आयुर्वेद की श्रेष्ठ पद्धति के कारण भारत सात समुद्र पार पुनः शीर्ष स्थान पर है.

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे जी ने कहा कि राजस्थान में हो रहे वंशावली लेखन के श्रेष्ठ कार्य को आगे बढ़ाने के लिए हम पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे. इस विषय पर शोध कार्य भी बढ़ाने की बात कही. कार्यक्रम के संयोजक रामप्रसाद जी ने कहा कि जिस देश में स्थानीय लोगों की संख्या घटने और अन्य धर्मो की संख्या बढ़ेगी तो देश पर संकट बढ़ेगा. मतांतरण के कारण हमारे अपने देश में हमारी अपनी संख्या घट रही है. मुकुन्दराव जी ने भारत क्यों टूट रहा है, इस पर चिन्ता जताई थी. उन्होंने मतांतरण केवल अनुसूचित जाति, जनजाति की समस्या नहीं है, यह पूरे देश की समस्या है. यह देश हमारी मातृभूमि, पितृभूमि, कर्मभूमि है, यह भाव हमें अपले मन में लाना होगा. मतांतरण से अपनी संख्या कम तो होती ही है, साथ ही हमारे शत्रु की संख्या भी बढ़ती है. अतिथियों द्वारा श्रेद्धेय मुकुन्दराव पणशीकर पर प्रकाशित ग्रन्थ का भी विमोचन किया गया.

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