लखनऊ (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इन्द्रेश कुमार जी ने कहा कि हिन्दुस्थान में जहां एक तरफ पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को सम्मान दिया गया तो वहीं दूसरी तरफ याकूब मेमन को फांसी दी गयी. डॉ. कलाम हिन्दुस्थानियों के लिए ईश्वर के समान थे. जबकि याकूब मेमन दहशतगर्द था और ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी आतंकी को फांसी देने के बाद उसके शव को उसके परिजनों को सौंपा गया हो. इन्द्रेश कुमार जी शनिवार को लखनऊ स्थित रविन्द्रालय में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा आयोजित ऑल इंडिया उलेमा कांफ्रेंस (कुल हिन्द उलेमा इजलास) में संबोधित कर रहे थे.
कार्यक्रम में देशभर के लगभग 1200 से अधिक उलेमाओं ने हिस्सा लिया. कांफ्रेंस में दंगा, नफरत, जुल्म के खिलाफ उलेमाओं ने एक स्वर में आवाज उठायी. इन्द्रेश कुमार जी ने कहा कि मुस्लिमों को एक राजनीतिक दल अपना वोट बैंक मानता है और मुसलमान भी उस दल से प्रेम करते हैं, लेकिन अगर आज यह कार्यक्रम उस दल ने करवाया होता तो इस हॉल में सुरक्षा को लेकर आप लोगों की तालाशी ली जाती. साथ ही दल के मुखिया से आप लोग मिल भी नहीं पाते. अब मुसलमान मातृभूमि (मादरे वतन हिन्दुस्थान) के लिए जिएगा और मरेगा भी. उसका सिर कटेगा तो अपनी मातृभूमि के लिए न कि अरब के लिए. उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान को दहशत, दंगा, हिंसा और नफरत मुक्त बनाना है. देश में बहुत दंगे हुए सैकड़ों लोग मरे, लेकिन हमें आपको क्या मिला. हम अभी भी रोजगार, तालीम तरक्की से दूर हैं. क्या हम चंद नेताओं की नेतागीरी चमकाने के लिए हैं. मालिक ने मुझे और आप को सलामती और अमन के लिए भेजा है. जिस तरह अगस्त 1942 को हिन्दुस्तान की आवाम ने अंग्रेजों के खिलाफ अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा बुलंद किया था. इसी तरह आज दहशत, दंगा, हिंसा और नफरत मुक्त भारत का संदेश देना है.
इन्द्रेश जी ने कहा कि हिन्दुस्तान वह सरजमी है, जिसे सैकड़ों साल पहले रसूल साहब ने महसूस किया था कि सुकून की हवा हिन्दुस्तान की तरफ से आती है. ऐसे समय में रसूल साहब का यह संदेश दुनिया में लेकर जाना है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक मो. अफजल ने कहा कि आतंकवाद का मजहबे इस्लाम से कोई वास्ता नहीं है. अब मुस्लिम वोट बैंक बनकर नहीं रहेगा. वह अब अपने हक की बात करेगा. तरक्की व तालीम की बुनियाद मजबूत करेगा. मोहम्मद अफजल ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल है, जब देवबंदी, बरेलवी, शिया और सुन्नी एक साथ एक मंच पर हैं. ऐसा इसके पहले कभी नहीं हुआ. इस मंच से हमने दहशतगर्दी, दंगा-फसाद और बंटवारे के मसलों पर चर्चा की. साथ ही मुसलमानों को डॉ. कलाम की तरह बनने के लिए भी प्रेरित किया. उम्मीद है कि वे इन बातों पर आने वाले दिनों में गौर करेंगे. हजरत मौलाना कासिम ने कहा कि जिस इस्लाम को जिहाद के नाम पर बदनाम किया जा रहा है, उनको जिहाद के मायने नहीं पता है. जिहाद का अर्थ होता है, अंधेरे में प्रकाश फैलाना अंधेरे के खिलाफ जिहाद है. कर्नाटक से मौलाना इब्राहिम ने कहा कि नाम के आधार पर कोई मुसलमान नहीं होता. इंसानियत के खिलाफ काम करने वाला मुसलमान नहीं हो सकता. मौलाना हैदर ने कहा कि राजनीतिज्ञों ने मुस्लिमों को संघ के खिलाफ भड़काया और हिन्दुओं को मुस्लिमों के खिलाफ भड़काया गया. अब्बास अली बोरा ने कहा कि अब मुस्लिमों को दिखाना है कि हम इस देश के प्रति वफादार हैं. चंद लोगों की गलती से हमें खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि भाईचारा और तरक्की इस्लाम सिखाता है. आज के बाद इस्लाम कलंकित न हो यह पैगाम लेकर जाना है.