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पर्यावरण के दायरे में ही अर्थशास्त्र की शाश्वत प्रगति हो सकती है – अनिल बोकिल जी

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जयपुर (विसंकें). अर्थक्रांति के संस्थापक एवं अर्थशास्त्री अनिल बोकिल जी ने कहा कि पर्यावरण के अन्दर ही अर्थशास्त्र होना चाहिए, पर्यावरण के दायरे में ही अर्थशास्त्र की शाश्वत प्रगति हो सकती है. इससे परे चल कर नहीं. मुद्रा माध्यम बननी चाहिए, वस्तु नहीं. वस्तु बनेगी तो गरीब तक नहीं पहुंचेगी. अनिल जी जयपुर के सुबोध पीजी कॉलेज सभागार में वर्तमान अर्थ नीति एवं ग्राहक विषय पर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत द्वारा आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार, कालाधन और आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए नोटबंदी आवश्यक थी. जिसके सकारात्मक परिणाम आने वाले समय में हमें देश की अर्थव्यवस्था में देखने को मिलेंगे. बड़े नोट बंद होने से जाली नोट बजार में नहीं होंगे. जी.एस.टी. देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए एक पायदान है, समय के अनुसार सरकार को राष्ट्र और समाज के हित के लिए अर्थव्यवस्था में सुधार करने चाहिए. जिसका लाभ सामान्य व्यक्ति को मिले. देश में एक कर का प्रावधान होना चाहिए. अनिल बोकिल जी ने कहा कि समाज परिवर्तन का वाहक बनने के लिए हमें जागरूक बनना पड़ेगा. क्योंकि सरकार व्यक्ति के लिए काम नहीं कर सकती, समाज के लिए काम करती है. लेकिन बाजार व्यक्ति के लिए काम करता है.

आम जन प्रसन्न भय मुक्त, शोषण मुक्त हो – वासुदेव देवनानी जी

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी जी ने कहा कि आम जन प्रसन्न भय मुक्त, शोषण मुक्त हो, किसान और व्यापारी में सामंजस्य हो. भारत में व्यापार और विनिमय प्राचीन काल से हो रहा है. देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए मुगलों और अंग्रेजों ने अनेक प्रयास किये. हम राष्ट्रीय चिंतन छोड़ रहे हैं, चाहे वो कृषि, शिक्षा, चिकित्सा या कोई भी अन्य क्षेत्र हो, जिसके कारण देश में उत्पादन बढ़ने के बाद भी ग्राहक का शोषण नहीं रूका है. वैश्विक युग के अनुसार ही नीतियों का निर्माण होना चाहिए.

कार्यक्रम में अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरूण देशपाण्डे जी, राष्ट्रीय सचिव दुर्गाप्रसाद सैनी जी सहित प्रबुद्धजन उपस्थित थे.

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