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परिवर्तन सत्ता के बल पर नहीं, समाज के बल पर होता है

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जयपुर. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जी ने कहा कि स्वदेशी का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए. आज हम विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यव्स्था बन गए हैं. हमारा निर्यात छह सौ बिलियन से भी अधिक है. वे पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 56वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र प्रचारक निंबाराम ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने व्यष्टि से समष्टि तक का चिंतन दिया. यह भारत का प्राचीन विचार है, भारत की विरासत है, जो आज भी युगानुकूल है. भारत का विचार आधारित रचना बने ऐसा विज़न 100 वर्ष पूर्व संघ के रूप में प्रारम्भ हुआ. पंडित दीनदयाल जी का जीवन पढ़ेंगे तो हमें समझ आता है कि परिवर्तन केवल सत्ता के बल पर नहीं, बल्कि समाज के बल पर होता है. राजा वही होगा जो हमारे बीच से जाएगा. इसलिए अब जैसा राजा वैसी प्रजा नहीं, बल्कि जैसी प्रजा वैसा राजा वाला समाज खड़ा करना होगा.

क्षेत्र प्रचारक निंबाराम रविवार को दीनदयाल उपाध्याय की 56वीं पुण्यतिथि पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक, धानक्या में “पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन दर्शन की प्रासंगिक” विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ने जिस विचार का नेतृत्व किया है, उसमें भारत की प्राचीन संस्कृति एवं परम्परा को यूगानुकूल परिवर्तन के साथ विजयी बनाने का प्रण शामिल है. उन्होंने कहा कि पिछले जी-20 की थीम वसुधैव कुटुम्बकम के रूप में भारत की मूल संस्कृति को सम्पूर्ण विश्व के सामने प्रतिपादित करने का कार्य हुआ है. उन्होंने समाज में सामाजिक समरसता एवं नागरिक अनुशासन को अपनाने, स्वदेशी वस्तुओं के साथ ही स्वत्व एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति भाव जाग्रत करने का आह्वान किया.

उन्होंने कहा कि विश्वभर में अनेक विचारधाराएं चलती हैं, लेकिन भारत विश्वगुरु कहलाया. बीच के संघर्षकाल में हमारी रीतियां व अच्छाईयां रूढ़ियों में बदलीं. लेकिन भारत के उस प्राचीन विचार को पुनः स्थापित करने का आधार व्यक्ति है. देश में स्वाधीनता का संपूर्ण आंदोलन हमने स्व के आधार पर लड़ा. स्वाधीनता प्राप्त होने के बाद 75 वर्षों का हिसाब किताब भी हमारे पास होना चाहिए. देश को आगे बढ़ाने की हमारी क्या योजना हो, इसके लिए पंडित दीनदयाल जी के विचारों को आत्मसात करना है. शासन चलाने वाले सभी श्रेष्ठ जनों ने इसके लिए एक अभियान हमारे समक्ष रखा और वह है अमृतकाल.  जब हम एकता और एकात्मता की बात करते हैं तो सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ देश की आंतरिक सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा.

क्षेत्र प्रचारक ने कहा कि संविधान हमारे लिए सर्वोपरि है. हम अक्सर संविधान में दिए अधिकारों की तो बात करते हैं, लेकिन उसमें बताए गए कर्तव्यों की भी चर्चा होनी चाहिए. हमें सोचना चाहिए कि आज जो परिवर्तन का भव्य वातावरण देश में बना है, उसमें हमारी भूमिका क्या हो? प्रभु श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा से हम सब में स्वाभिमान जगा, लेकिन परिवर्तन का यह क्रम निरंतर चलना चाहिए. सामंजस्य व समन्वय के भाव को लेकर हमें चलना होगा.

उन्होंने कहा कि पर्यावरण संकट का विषय अभी संपूर्ण विश्व के लिए परेशानी का विषय बना हुआ है. लेकिन जो लोग हमें कहते थे कि तुम पेड़ों, नदियों को पूजते हो. उन्हें हमारी दूर दृष्टि और उसके पीछे के वैज्ञानिक कारण दुनिया को दिख रहे हैं.

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि अंत्योदय देश के लिए महत्वपूर्ण है. भैरोंसिंह जी ने मुख्यमंत्री रहते इसे सर्वप्रथम राजस्थान में शुरु किया. जब अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने इसे देश भर में लागू किया. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे आगे बढ़ा रहे हैं.

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