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धर्म को अंग्रेजी में भी धर्म ही कहना चाहिए, रिलीजन कहना उचित नहीं – डॉ. मनमोहन वैद्य जी

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धार, मालवा. विश्व संवाद केन्द्र, मालवा के वार्षिक साहित्यिक समागम “नर्मदा साहित्य मंथन” के तृतीय सोपान (१६-१७-१८ फरवरी) के समापन सत्र में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य जी, मुख्य अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलगुरु डॉ. रेणु जैन, नर्मदा साहित्य मंथन के सह संयोजक शंभु मनहर के विशिष्ट आतिथ्य में सम्पन्न हुआ.

डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने राष्ट्र चिंतन विषय पर कहा कि हमारे राष्ट्र के जीवन का आधार अध्यात्म है. राष्ट्रीय शब्द का अर्थ राष्ट्र को समझना और राष्ट्र का चिंतन करना है. भारत दुनिया में एकमात्र देश है, जहां कोविड आपदा में सरकारी मशीनरी ने बहुत अच्छा काम किया. पर, उससे भी अच्छी बात ये है कि लाखों लोग ये जानते हुए भी कि उनकी जान को खतरा है, अन्य लोगों की सहायता के लिए सड़कों पर निकले और सेवा की. उन्होंने कहा कि दुनिया ने हमें बताया कि भारत कृषि प्रधान देश था, पर वास्तव में पुरातन समय में भारत उद्योग प्रधान देश था.

हमारा ‘हम’ का दायरा इतना बड़ा है कि हम किसी को अन्य मानते ही नहीं हैं. सत्य एक है, और इसे पाने के मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं. यह भारत का विचार है, यही भारत की विशेषता भी है. प्रत्येक व्यक्ति में ईश्वर तत्व है, ऐसा केवल भारत ही मानता है. यह भारत की विशेषता है.

उन्होंने कहा कि धर्म को अंग्रेज़ी में भी धर्म ही कहना चाहिए. धर्म को रिलीजन कहना उचित नहीं है. रिलीजन का अर्थ उपासना पद्धति होना चाहिए.

सरकार सब कुछ करेगी, हमारे यहाँ ऐसी मान्यता नहीं थी. न्याय, सुरक्षा, विदेश संबंध सिर्फ़ राज्य का विषय था. जबकि शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार समाज का विषय था. जो व्यवस्था राज्य पर कम निर्भर होती है, वह अधिक प्रभावी होती है. समाज को देना, परोपकार करना पुण्य का कार्य है. जबकि समाज को अपना मानकर उसको लौटाना धर्म है.

डॉ. रेणु जैन ने कहा कि ऐसे आयोजनों से युवाओं की रचनात्मकता को एक बड़ा मंच मिलता है. साहित्य नैतिकता एवं जीवन मूल्य की स्थापना में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. साहित्य में वो शक्ति होती है जो तलवार और परमाणु बम में भी नहीं होती. युवाओं को भटकाव से रोकने का काम इसी प्रकार के साहित्यिक आयोजन करेंगे.

उन्होंने परमपूज्य विद्यासागर जी महाराज के महानिर्वाण पर कहा कि उनका लिखा हुआ साहित्य भारत के स्वाभिमान से परिचय करवाने वाला है. उन्होंने मंच से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की. साहित्य मंथन के सफल आयोजन के लिए विश्व संवाद केंद्र मालवा को शुभकामनाएँ प्रदान कीं.

सत्र संचालन डॉ. शालिनी रतोरिया ने किया.

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