नई दिल्ली. जबरन धर्मांतरण से जुड़ी याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को चिंता व्यक्त करते हुए सख्त टिप्पणी की. न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा कि ‘‘यह एक बहुत ही गंभीर मामला है. केंद्र द्वारा जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए. अन्यथा बहुत मुश्किल स्थिति सामने आएगी.’’ न्यायालय ने कहा कि जबरन धर्मांतरण बहुत गंभीर मुद्दा, यह राष्ट्र की सुरक्षा और धर्म की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है. केंद्र सरकार को जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना होगा.
सर्वोच्च न्यायालय ने एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. याचिका में केंद्र और राज्यों को ‘धमकी देकर, उपहारों और पैसे का लालच देकर धोखाधड़ी वाले धर्मांतरण को कंट्रोल करने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और जहां तक धर्म का संबंध है, यह नागरिकों की अंतरात्मा की स्वतंत्रता के साथ-साथ देश की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है. पूरे मामले में केंद्र सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा. साथ ही धोखाधड़ी और धोखे से होने वाले धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग वाली याचिका पर हलफनामा दाखिल करने को कहा. इस मामले में अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी.
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कहा कि ऐसे मामलों को रोकने के उपाय बताएं, जिनमें प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन किया जा रहा है. यह एक बहुत ही गंभीर मामला है. केंद्र की तरफ से जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए. अन्यथा बहुत कठिन स्थिति आ जाएगी. हमें बताएं कि आप क्या कार्रवाई का प्रस्ताव रखते हैं … आपको कदम उठाना होगा.
रिपोर्ट्स के अनुसार, पीठ ने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है जो राष्ट्र की सुरक्षा और धर्म व अंतरात्मा की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है. इसलिए, यह बेहतर है कि केंद्र सरकार अपना रुख स्पष्ट करे. साथ ही इस तरह के जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर जवाबी हलफनामा दाखिल करे.