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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से वास्तव में राम राज्य की शुरुआत हो गई – सुनील आंबेकर जी

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नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर जी ने कहा कि भगवान राम ने कहा है कि वह सबके हैं, यह भाव जिन तक नहीं पहुंचा है. उन तक यह भाव सभी माध्यमों से पहुँचाना आवश्यक है. सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक राम जन्मभूमि तथा राम जन्मभूमि कॉमिक के विमोचन के अवसर संबोधित किया.

मुख्य वक्ता सुनील आंबेकर जी ने कहा कि हम भाग्यशाली है कि हम उस युग में उपस्थित हैं, जब अयोध्या में राम मंदिर में रामलला विराजमान हो गए हैं. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय जैसा माहौल था, उससे हम यह कल्पना कर सकते हैं कि जब प्रभु राम वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आए तब अयोध्या में कैसा माहौल रहा होगा. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से वास्तव में राम राज्य की शुरुआत हो गई है.

उन्होंने कहा कि भारत ही नहीं विश्व के इतिहास में अपने सम्मान के लिए इतना लंबा संघर्ष नहीं हुआ, जितना राम मंदिर के लिए हुआ. विश्व की कई सभ्यताएं मिट गई, लेकिन हम आज भी हैं. राम मंदिर के संघर्ष से जुड़ा विषय आम जनता तक जाना चाहिए. हमें पूरी दुनिया को बताना होगा कि राम मंदिर क्या है और उसका महत्व क्या है? जहां अस्तित्व का प्रश्न है, अपनी अस्मिता का प्रश्न है, वहां संघर्ष होना चाहिए. जो समाज ऐसी परिस्थितियों में संघर्ष नहीं करता है, वह मिट जाता है.

इस अवसर पर आध्यात्मिक गुरु अनीश जी ने कहा कि भारत की सभ्यता पौराणिक सभ्यता है. वह अंतर्मुखी रही क्योंकि हमें जीवन के रहस्य को जानना था. यही कारण है कि हमारी सभ्यता आज तक मिट नहीं पाई.

रामजन्मभूमि पुस्तक के लेखक अरुण आनंद ने कहा कि राम मंदिर मूल्यों की लड़ाई का प्रतीक है.

रामजन्मभूमि कॉमिक के लेखक डॉ. अमित कुमार वार्ष्णेय ने कहा कि यह कॉमिक पुस्तक स्मृतियों का संकलन है.

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