करंट टॉपिक्स

तीर्थाटन का अर्थ केवल पर्यटन नहीं – संजीवन कुमार

शिमला में मातृवन्दना पत्रिका के विशेषांक व दिनदर्शिका का विमोचन शिमला (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर क्षेत्र शारीरिक शिक्षण प्रमुख संजीवन कुमार ने कहा कि...

सर्वधर्म समभाव का पालन करने की अपेक्षा केवल हिन्दुओं से ही क्यों?

इंदौर. राष्ट्र सेविका समिति द्वारा जाल सभागृह में आयोजित दो दिवसीय लक्ष्मीबाई केळकर स्मृति व्याख्यानमाला सफलतापूर्वक संपन्न हुई. प्रथम दिवस, 30 जनवरी को कार्यक्रम की...

हम अखंड भारत के पुजारी – निम्बाराम

जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजस्थान क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने जयपुर में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कहा कि किसी कवि ने तब लिखा था –...

स्वराज के जयघोष के साथ मातृशक्ति ने निकाली शौर्य वाहन यात्रा

राष्ट्र सेविका समिति सूरतगढ़ द्वारा मणिकर्णिका शौर्य वाहन यात्रा निकाली गई. समिति की सेविकाएं एवं नगर की अन्य मातृशक्ति को जोड़ते हुए 19 नवंबर को...

वीरव्रतधारी – अमर बलिदानी लाल पद्मधर सिंह

कृष्णमुरारी त्रिपाठी सन् १८५८ के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम से लेकर १५ अगस्त सन् १९४७ को सम्पन्न हुए स्वातन्त्र्य यज्ञ में असंख्य वीर - वीरांगनाओं ने...

हैदराबाद नि:शस्त्र प्रतिरोध – जब ‘वंदे मातरम’ कहने पर उस्मानिया विश्वविद्यालय ने किया था 850 हिन्दू छात्रों को निष्कासित

डॉ. श्रीरंग गोडबोले हैदराबाद नि:शस्त्र प्रतिरोध का आंदोलन हिन्दू महासभा, आर्य समाज और स्टेट कांग्रेस ने किया. यह आंदोलन संघर्ष और बलिदान की अनुपम गाथा...

विभाजन की चुभन – १

  विभाजन टल सकता था..! प्रशांत पोळ ‘और १५ अगस्त १९४७ को हमारा देश बंट गया..!’ इस वाक्य के साथ कहानी का अंत नहीं हुआ....

सर्वविदित, सुस्पष्ट भारत की पहचान, भारत के “स्व” को नकारा गया..!!

[caption id="attachment_28204" align="aligncenter" width="1280"] File Photo[/caption] सर्वानुमति से लिया गया ध्वज समिति का निर्णय क्यों नहीं स्वीकार हुआ? डॉ. मनमोहन वैद्य सह सरकार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक...

भारत की आध्यात्मिक शक्ति और प्राचीन संस्कृति देश का प्राण है – रामदत्त चक्रधर जी

प्रयागराज. तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित के भाव को लेकर देशभक्तों ने सामूहिक वंदेमातरम गीत गाकर प्रयाग की धरती पर एक नया कीर्तिमान स्थापित...

जयंती पर विशेष : भगिनी निवेदिता – भारतीयता की ओजमयी वाणी

लवी चौधरी भारत के चिंतन और दर्शन ने सुदीर्घकाल से विश्व जगत को स्पंदित किया है. पाश्चत्य जगत की भोगवादी चमक-धमक को छोड़कर स्वामी विवेकानंद...