करंट टॉपिक्स

जनजाति समाज – अंग्रेजों ने षड्यंत्रपूर्वक बार-बार बदला धर्म कोड, पर जीवन व पूजा पद्धति नहीं बदल सके

ईसाई मिशनरियां और कुछ ताकतें पिछले लगभग डेढ़ सदी से यह स्थापित करने में लगी हैं कि वनवासी हिन्दू नहीं हैं. हालाँकि, उनके नेरेटिव को...

भारतवासी मूलनिवासी – बालासाहब देशपांडे ने दशकों पहले ही भांप ली थी साजिश, किया था आगाह

भारत में 700 से अधिक जनजातियां निवास करती हैं, जिनकी जनसंख्या लगभग 10 करोड़ से अधिक है. अपने पारंपरिक ज्ञान के विशाल भंडार के साथ...

कैसे भारत के जनजातीय समाज को ‘आदिवासी’ बनाया जा रहा है..?

09 अगस्त को "विश्व मूलनिवासी दिवस" मनाया जा रहा है. भारत में "विश्व आदिवासी दिवस" के रूप में मनाया जाता है. देश के विभिन्न हिस्सों...

महज राजनीतिक संकेतवाद नहीं द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति निर्वाचित होना

उमेश उपाध्याय (वरिष्ठ पत्रकार) राजनीति और समाज जीवन में संकेतों की अपनी जगह होती है. बड़े लक्ष्य के लिए यदि संकेत के तौर पर किसी...

जनजाति क्षेत्रों में परिवर्तन में वनवासी कल्याण आश्रम की भूमिका

आलोक मेहता राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के एक प्रवक्ता मुझसे इस मुद्दे पर नाराजगी के साथ बहस...

हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ ताल-मेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है

नई दिल्ली. देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. राष्ट्रपति पद की शपथ के बाद द्रौपदी...

समाज को भारतीयता और सनातन संस्कृति एवं एकता का संदेश

यह वास्तव में एक ऐतिहासिक दिन है. श्रीमती द्रौपदी जी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति चुनी गई हैं. पहली जनजाति महिला भारत की प्रथम नागरिक...

पाठ्यक्रम में शामिल हो स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज के संघर्ष की गौरवगाथा

  डॉ. अंजनी कुमार सुमन भारत भूमि का कण-कण वीरों के मनोबल और बलिदानियों के रक्त से सिंचित रहा है. समय, काल, परिस्थितियां भले ही...

झाबुआ और रतलाम में 250 से अधिक लोगों ने सनातन धर्म अपनाया

  भोपाल. जनजाति बहुल झाबुआ और रतलाम जिले में सैकड़ों लोगों ने सनातन धर्म में वापसी की. झाबुआ जिले के पेटलावद क्षेत्र के गुलरीपाड़ा गांव...

विघटनकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाकर मतांतरित लोगों को अनुसूचित जनजातियों की सूची से बाहर किया जाए – मिलिंद परांडे

रायपुर. ईसाई मिशनरियों, वामपंथियों व उनके इशारों पर कार्य करने वाले लोगों द्वारा जनजातीय समाज के अधिकारों पर कुठाराघात, पूज्य संतों के अपमान तथा हिंसा के सहारे...