प्रश्न – भारत विश्वगुरू बनने जा रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं है. लेकिन, चिंता की बात यह है कि अब हिन्दू ही हिन्दू समुदाय (बीजेपी का) का शत्रु बन रहा है. क्या इस स्थिति से बाहर आ सकते हैं…?
आपने प्रश्न में पूछा है – Hindu become enemy of hindu community (means BJP). Hindu Community का मतलब बीजेपी नहीं है. यह बात ध्यान में रखने की है. भाजपा का विरोध मतलब हिन्दुओं का विरोध है, ऐसा नहीं मानना चाहिए. ये लोग राजनीति करते हैं, चलती रहती है. उसको इसके साथ नहीं जोड़कर नहीं देखना चाहिए. हां, हिन्दू, हिन्दू का शत्रु बनता है, ऐसे उदाहरण हैं अपने यहां पर. वो आज के नहीं हैं. इसका एक ही कारण है – हिन्दुत्व का विस्मरण. यही एक कारण उसके विरोध करने का, और दूसरा कोई कारण नहीं है. एक जाति के लोग भी आपस में विरोध करते हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज का विरोध करने वाले उन्हीं के कुल के, उन्हीं के परिवार के लोग थे. राणा प्रताप का विरोध करने वाले वहीं के राजपूत थे.
जिन्होंने इस प्रकार के भ्रम निर्माण किए, जो स्वार्थ केंद्रित हो गए. वो स्वार्थ केंद्रित लोग ही इस मार्ग पर चलने वाले लोगों का विरोध करते हैं. उनको लगता है कि इनका विरोध करने में ही हमारा स्वार्थ है. ऐसे लोगों को पूछिये, आप हिन्दू नहीं हो क्या? देखिये, हम पूजा पाठ तो करते हैं, पर आपका हिन्दुत्व खराब है. कैसे तय करते हैं? लोग कहते हैं कि विवेकानंद जी का हिन्दुत्व अच्छा है, सावरकर जी का नहीं. विवेकानंद का हिन्दुत्व अच्छा और सावरकर का नहीं, इसके आंकलन का आधार क्या है? बंगाल में जब कम्युनिस्ट शासन था, या आज भी जो शासन है, वह अपने आप को हिन्दू विरोधी मानता है. पर, वे सारे दुर्गा पूजा पंडाल के प्रमुख बनते हैं. अगर आप देवताओं को नहीं मानते हो, हिन्दू नहीं मानते हो तो आप दुर्गा पूजा के पंडाल के, समिति के प्रमुख क्यों बनते हो?
केरल में कम्युनिस्टों का साम्राज्य है. देवस्वोम बोर्ड बनेगा, तो उनको कहना चाहिए हम कम्युनिस्ट पार्टी के लोग हैं, हम देवताओं को नहीं मानते, जिसको अध्यक्ष बनाना है बनाओ. वहां पर कट्टर कम्युनिस्ट भी देवास्वोम बोर्ड के अध्यक्ष बनने की स्पर्धा में आते हैं. ये क्या है तो हिन्दुत्व का विरोध करना यह भी पॉलिटिकल है, हिन्दुत्व का समर्थन करना यह भी कभी कभी पॉलिटिकल होता है.
मैं समझता हूं कि हिन्दुत्व, हिन्दू समाज इससे ऊपर उठना चाहिए. हिन्दू-हिन्दू का विरोध केवल राजनीतिक कारणों से हुआ है, ऐसा हम मानकर चलते हैं.
इन सब का भारत विश्वगुरू बनने से कोई संबंध नहीं. भारत का विश्वगुरू बनना ये राजनैतिक लोगों पर निर्भर नहीं है. यह भारत कि सुप्तशक्ति पर निर्भर करता है. राजनीतिक झगड़े होते रहेंगे, उसके कारण विश्वगुरु बनने में कोई बाधा नहीं आएगी.
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