केन्द्र सरकार ने अलगाववादी संगठन सिक्ख फॉर जस्टिस (SFJ) पर प्रतिबंध लगा दिया है. संगठन के अलगाववादी एजेंडे के कारण सरकार ने प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया. ‘सिक्ख जनमत संग्रह 2020’ इसके एजेंडे का महत्वपूर्ण हिस्सा है. पंजाब व अन्य राज्य सरकारों से विचार विमर्श के बाद केन्द्र सरकार ने एसएफजे पर प्रतिबंध लगाया है. उसकी अलगाववादी गतिविधियों को लेकर कई सिक्ख संगठनों ने भी चिंता जताई थी.पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सरकार के फैसले का समर्थन किया है.
कहा जाता है कि एसएफजे की गतिविधियों को पाकिस्तान का समर्थन हासिल है. हालांकि पाकिस्तान ने इसी साल अप्रैल में सिक्ख फॉर जस्टिस को प्रतिबंधित करने का दावा किया था. लेकिन, इसके ठोस साक्ष्य नहीं हैं. SFJ अपने अलगाववादी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए करतारपुर कॉरिडोर का इस्तेमाल करने की फिराक में भी था. यह कार्रवाई ‘गौर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA)’ के तहत की गई है.
पंजाब पुलिस ने SFJ के खिलाफ भारत में आतंकी गतिविधियों को लेकर डेढ़ दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज कर रखे हैं. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी कई मामले दर्ज हैं. संगठन के लीगल हेड और प्रवक्ता गुरपतवंत पन्नू ने पिछले दिनों पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता को एक वीडियो मैसेज के माध्यम से धमकी दी थी.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि एसएफजे को प्रतिबंधित करना पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई की छत्रछाया में पल रहे भारत-विरोधी संगठनों से देश को बचाने की दिशा में उठाया गया कदम है.
मैनचेस्टर में भारत और न्यूजीलैंड के मध्य मैच के दौरान कुछ लोगों ने खलिस्तान समर्थक नारे लगाए थे, जिन्हें स्टेडियम से बाहर निकाल दिया था.