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जनसंचार माध्यम राष्ट्रीय चरित्र निर्माण की दिशा में कार्य करें – इंद्रेश कुमार जी

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photo narad jayanti काशी.वाराणसी (विसंकें). देश में देवर्षि नारद के दर्शन से सुराज आयेगा. परमज्ञानी महर्षि नारद का दर्शन आज भी सुसंगत है. हमें अपने इतिहास एवं परम्पराओं से प्रेरणा मिलती रहे, यह उपक्रम जनसंचार माध्यमों को राष्ट्रीय चरित्र की रक्षा के लिये करना चाहिए. सामाजिक जागरुकता से ही परिवर्तन की छोटी शुरुआत होगी. जिसका फलक व्यापक होगा. जनसंचार माध्यमों का लक्ष्य इंसानियत की भावना पैदा करना होना चाहिए. महर्षि नारद जयंती पर विश्व संवाद केन्द्र काशी द्वारा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ स्थित गांधी अध्ययनपीठ के सभागार में आयोजित पत्रकार सम्मान समारोह व ‘‘सामाजिक जागरुकता में जनसंचार माध्यमों की भूमिका’’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्वान् विचारकों ने विचार व्यक्त किये.

मुख्य अतिथि नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इण्डिया नई दिल्ली के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि पत्रकार सामाजिक सरोकारों और राष्ट्रहित के लिए प्रतिबद्ध हों, तभी  वास्तव में जन संचार माध्यम सामाजिक जागरुकता में अपनी सार्थक भूमिका निभा सकते हैं. मीडिया में बढ़ती व्यावसायिकता जरूर इसमें एक बड़ी चुनौती है, लेकिन महर्षि नारद की दृष्टि और मानवीय संवेदना मीडिया को सही दिशा देती रहेगी.

उन्होंने कहा कि एक सच्चा पत्रकार मानवीय संवेदनाओं से युक्त होता है. एक दरोगा, पत्रकार की नैतिकता से डरता है क्योंकि वह जानता है कि पत्रकार सामाजिक चेतना का प्रतिनिधि है. इसी काशी में पराड़कर जी जैसा श्रेष्ठ चरित्र है, जिन्होंने पत्रकारिता जगत में एक मानक स्थापित किया है. आज भी मीडिया सामाजिक सरोकारों से जुड़ी है. पत्रकार सामाजिक समस्याओं का विश्लेषण करते हुए समाधान भी देता है. पूरे देश में पत्रकारिता के सामने अनेक चुनौतियां भी है. ऐसी विकट परिस्थिति में मूल्यपरक पत्रकारिता की जरूरत है.

मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय चरित्र निर्माण की दिशा में जनसंचार माध्यम काम करें. विचारों में प्रौढ़ता रखने वाले पत्रकार ही सामाजिक जागरुकता ला सकते हैं. सामाजिक परिवर्तन व राष्ट्र निर्माण जनसंचार माध्यमों का मूल उद्देश्य होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से समाज को जागरूक करके देश से भूखमरी की समस्या दूर की जा सकती है. अच्छे नागरिक बनने के लिए प्रोत्साहन और गरीबों की सहायता की जा सकती है. पत्रकारों को निष्पक्षता और सत्य के साथ सदैव खड़ा होना चाहिए. मीडिया उस चीज को न परोसे जो देश के लिए अहितकर हो. सकारात्मक पत्रकारिता बहुत आवश्यक है. देश को एक महान भारत बनाने के लिए मार्गदर्शन की जरूरत है. नारद जयंती को पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाए.

अध्यक्षता करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने जनसंचार माध्यमों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि सामाजिक जागरुकता के बिना पत्रकारिता राष्ट्रवाद से अनुप्राणित नहीं हो सकती. आदर्श पत्रकार में जो गुण होने चाहिए, वे सभी महर्षि नारद में दिखाई देते हैं. नारद को लोक व्यवहार और शास्त्र दोनों का ज्ञान था. नारद न्याय के आधार पर संस्था और व्यक्ति को कसौटी पर कसते थे. इसी तरह पत्रकारिता के माध्यम से शास्वत सनातन सिद्धांतों की रक्षा होनी चाहिए और विकृतियों पर प्रहार होना चाहिए. यदि संस्थाओं में विकृतियां आती है तो उसमें परिमार्जन होना चाहिए. स्वस्थ पत्रकारिता वही है जो समाज का दिग्दर्शन करे. महामना मदनमोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक प्रो. ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि आदि पत्रकार नारद पत्रकारों के पितामह तथा आदि पुरूष हैं. नारद तीनों लोकों में विचरण करके सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे. उनकी पत्रकारिता सज्जनों की रक्षा के लिए तथा दुष्टों के विनाश के लिए थी. आदि पत्रकार नारद की पत्रकारिता में त्रिकालज्ञ, अनुभूति, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, सत्यता, स्पष्टता, लोकोपकार आदि के सन्दर्भ मिलते है. अत: पत्रकारों में सर्जनात्मकता और समग्रता दोनों होनी चाहिए.

कार्यक्रम में स्नेह रंजन (स्थानीय सम्पादक राष्ट्रीय सहारा), जय प्रकाश पाण्डेय (दैनिक जागरण), सुनील सिंह (सम्पादक- काशीवार्ता), विजय शंकर चतुर्वेदी (सम्पादक- विन्ध्य न्यूज नेटवर्क ), डॉ हंस नारायण सिंह ‘राही’ (चेतना प्रवाह) और डॉ राम प्रसाद सिंह को महर्षि नारद सम्मान से अलंकृत किया गया.

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