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अंग्रेजों ने भारत की श्रेष्ठ व्यवस्थाओं को भंग करने का षड्यंत्र किया : भय्या जी जोशी

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Untitled-1 copyसूरत. वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त उपक्रम से विकसित भारत के लिये शिक्षा नीति विषय पर शुक्रवार को विश्वविद्यालय के कन्वेन्शन हॉल में प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया. मुख्य वक्ता के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाहक सुरेश (भय्याजी) जोशी ने कहा कि अंग्रेजों ने देश की श्रेष्ठ व्यवस्थाओं को भंग करने का षडयंत्र किया था. जबकि मनुष्य को मनुष्य बनाने का संदेश भारत ने ही दिया है.

विश्वविद्यालय में शुक्रवार की शाम भारत के लिए शिक्षा नीति विषय पर प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. शिक्षा नीति पर भय्याजी ने कहा कि विकसित देश की परिभाषा तय करने के लिए चार मापदंड बनाए गये हैं. जिस पर दुनिया के देश आंकलन करते हैं, लेकिन यह मापदंड उचित नहीं है. भारत के महानुभाव दुनिया के विभिन्न कोनों में शस्त्र लेकर नहीं गये, वह कुछ देने गये थे, कुछ लेने नहीं. शिक्षा नीति ऐसी होनी चाहिये, जिसमें मनुष्य को मनुष्य बनाने का उदेश्य हो, जो भारत की परंपरा में है. मनुष्य को मनुष्य बनाने का संदेश विश्व में भारत ने ही दिया है. 100 साल पहले अंग्रेज भारत में राज करने के उद्देश्य से आये. उन्होंने देश की शिक्षा की श्रेष्ठ व्यवस्थाओं को भंग करने का षड्यंत्र किया. विकसित भारत के लिए परंपराओं को सुरक्षित रखना आवश्यक है. वर्तमान में सामाजिक जीवन में कई प्रकार की दुर्बलता है, व्यक्ति की शक्ति समाज की शक्ति और देश की शक्ति बनती है. मात्र डिग्री को शिक्षा का मापदंड मानना उचित नहीं है. भारत में इन्फोर्मेशन सेंटर बनाने की होड़ लगी है, लेकिन इसके साथ नॉलेज सेन्टर की अति आवश्यकता है. भारतीय किसी तो कष्ट देने वालों में से नहीं है. परंपरा और सत्य स्थापित करना हमारा दायित्व है. शिक्षा क्षेत्र में चरित्र सम्पन्नता पर ध्यान दिया जाना चाहिये.

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