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ध्येय, अनुशासन के प्रति प्रतिबद्धता रहती है तो लक्ष्य प्राप्ति के लिए सब साथ चल पड़ते हैं – डॉ. मोहन जी भागवत

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20151012a_00419701001गोरखपुर (विसंकें). संस्कृति पब्लिक स्कूल में आयोजित क्षेत्रीय समन्वय बैठक को संबोधित करते हुए सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि विभिन्न समवैचारिक संगठनों में समन्वय की आवश्यकता नहीं, वरन् कार्यकर्ताओं में समन्वय ही वास्तव में समन्वय है. समन्वय स्वभाव के आधार पर होता है न कि नीतियों से. सभी संगठनों के कार्यकर्ताओं में व्यवहार, ध्येय और अनुशासन के प्रति प्रतिबद्धता रहती है तो बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सभी एक दिशा में चल पड़ते हैं.

उन्होंने कहा कि हम सभी का उद्देश्य व्यक्ति में परिवर्तन के आधार पर व्यवस्था में परिवर्तन और समाज में परिवर्तन लाना है. स्वयंसेवक व्यक्तिगत प्रतिज्ञा लेकर काम की धुन में विचारपूर्वक कार्य करते हुए एकजुट हो. हमारे कृतत्व, व्यक्तित्व और नेतृत्व में हमेशा समन्वय और समरसता रहेगी तभी देश को परम वैभव तक ले जा पाएंगे. संगठन का विचार किसी भी बड़े ध्येय की प्राप्ति के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा कि सभी संगठन स्वतंत्र रहते हुए, एक दूसरे के पूरक रहते हुए, अंतर आश्रित एवं अंतर संबंधित हैं. सभी संगठनों का अपना स्वभाव व महत्व है.

सरसंघचालक जी ने कहा कि इसी दृष्टिकोण से समवैचारिक दृष्टिकोण से काम करते हुए समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए कृत संकल्प हों. संपूर्ण हिन्दू समाज अपना है. संपर्क संवाद बढ़ाएं, सुख दुख में साथ रहें, परिवर्तन होगा. आत्मीयता से ही कार्य बढ़ता है. हृदय निर्माण की पद्धति शाखा है, हम सभी प्रतिज्ञा लेकर चलने वाले हैं. व्रत का कभी क्षरण नहीं होता है, काम लंबा चलेगा, हम विशाल समूह के अंग हैं. बैठक में क्षेत्र के समस्त अनुशांगिक संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित थे.

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