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बाबा साहेब ने कहा था, हिन्दू और बौद्ध एक ही संस्कृति का हिस्सा

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IMG_20150413_151914मेरठ (विसंकें). बाबा साहब आम्बेडकर की 125वें जयन्ती वर्ष का शुभारम्भ मेरठ विश्व संवाद केन्द्र में एक गोष्ठी से किया गया. मुख्य वक्ता राष्ट्रदेव पत्रिका के सम्पादक अजय मित्तल ने कहा कि बाबा साहब के सम्बन्ध में उनके अनुयाइयों और विरोधियों में गलतफहमियां हैं. ये दूर होनी चाहिये. बौद्धमत की दीक्षा लेते समय उन्होंने कहा था कि हिन्दू और बौद्ध धर्म एक ही संस्कृति का हिस्सा हैं. उन्होंने इस्लाम व ईसाईमत की ओर से मिले प्रलोभनों को ठुकरा दिया था. वे संस्कृत को भारत की राजभाषा के रूप में तथा भगवा झण्डे को राष्ट्र ध्वज के रूप में देखना चाहते थे. जातियों का उन्मूलन शीर्षक वाले अपने भाषण में उन्होंने जातिविहीन हिन्दू समाज के संगठनकार्य को स्वराज्य के संघर्ष से ज्यादा महत्व का बताया था. उनका कहना था कि जातिवाद-विहीन संगठन के बिना हिन्दुओं में स्वराज्य को टिकाये रखने का सामर्थ्य नहीं आ सकेगा. बाबा साहब ने जो तीन अखबार सम्पादित किये- मूकनायक, बहिष्कृत भारत और जनता, उनमें संत ज्ञानेष्वर, तुकाराम, रामदास, कबीर जैसे संतों के पद अक्सर छापते थे, बुद्ध, कबीर तथा ज्योतिबा फुले-इन तीन महापुरुषों को उन्होंने अपना आदर्श माना था. कार्यक्रम की अध्यक्षता टाइम्स आफ इंडिया के संवाददाता पंकुल शर्मा ने की. र्यक्रम में विभिन्न पत्रकारों एवं पत्रकारिता के छात्र व अध्यापकों ने भी भाग लिया.

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