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हेराका एसोसिएशन के 50 वर्ष पूर्ण होने पर विशाल कार्यक्रम का आयोजन

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दीमा हसाओ. पद्म भूषण रानी माँ गाइदिन्ल्यू की 1969 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरुजी से भेंट हुई थी. उनके परामर्श पर ही उन्होंने 1974 में Zeliangrong Heraka Association की स्थापना की. उनके पंथ को हेराका फेथ के नाम से जाना जाता है. वह समाज को सर्वोच्च ईश्वर तिंगवांग के प्रति दृढ़ रहने का आग्रह करती थीं. यह पंथ प्रकृति की शक्तियों की पूजा करता है और अपने मंदिरों में निराकार की साधना करता है.

हेराका एसोसिएशन के 50 वर्ष होने पर सोमवार 5 फरवरी, 2024 को असम के दीमा हसाऊ हाफलांग  लोदी ग्राम में एक विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में 5000 से अधिक लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सम्मिलित हुए. कार्यक्रम में विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार जी ने भी संबोधित किया.

पद्म भूषण रानी माँ गाइदिन्ल्यू समाज सुधारक थीं और संयम पूर्ण, सेवापूर्ण संगठित जीवन जीने का आग्रह करती थीं. रानी मां धर्मांतरण के भी विरुद्ध थीं. उन्होंने अपने समाज को स्वधर्म पर दृढ़ रहने की प्रेरणा दी और साथ ही अंधविश्वासों को छोड़ने के लिए तैयार किया. वह कहती थीं कि अपने परंपरागत रीति रिवाजों, वेश भूषा, पर्व त्योहारों इत्यादि पर सदैव दृढ़ रहें. वह भारतीय स्वातंत्र्य समर की योद्धा थीं. 13 वर्ष की आयु से ही स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने लगी थीं. अंग्रेजों ने उन्हें 14 वर्ष के कारावास का दंड दिया था. रानी मां विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की सदस्य रही और कल्याण आश्रम जैसे संगठनों से उनका निकट सम्बन्ध रहा.

यह संस्था भारत के प्रति निष्ठा और अपने धार्मिक विश्वासों पर दृढ़ता बढ़ाकर सारे समाज का संगठन कर रही है. यह धर्मांतरण को भी रोक रहे हैं और ईसाई हो गए लोगों को वापस स्वधर्म में लाने में लगे हैं. Dima Hasao की अटोनोमस काउंसिल के CEM देबोलाल गोरलोसा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे. विहिप के क्षेत्र संगठन मंत्री दिनेश कुमार तिवारी, प्रान्त संगठन मंत्री पूर्ण चंद्र मण्डल और जगदम्बा मल्ल, पंकज सिन्हा भी इस अवसर पर उपस्थित थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक और हेराका एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री Dr Ramkuiwangbe Jene जी की उपस्थिति प्रेरणादायक रही.

इस अवसर पर जयंतिया राजा पुरामौन किनजिंग भी रहे. जयंतिया के लिए कहा जाता है कि ये लोग स्वर्ग में रहते थे. वहां बहुत भीड़ हो गयी तो भगवान ने कहा आप नीचे एक स्वर्ग बना लो तो वह मेघालय में एक पर्वत शिखर पर उतर आये. यह उनका स्वर्ग है और मृत्यु के बाद में वह वापस पुराने स्वर्ग में लौट आते हैं.

दिल्ली से उत्तर-पूर्व की दूरी कम हो रही है. उत्तर-पूर्व मुख्यधारा में शामिल हो रहा है. हम सब मिलकर भारत माता को परम वैभव प्राप्त कराएंगे और विश्व गुरु के स्थान पर उसे आसीन करेंगे.

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