उदयपुर (विसंकें). विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक दिनेश चंद्र ने कहा कि मंदिर परिसर में ही जगतजननी सीता मैया का भी भव्य मंदिर स्थापित होगा. अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के साथ अयोध्या नगरी ‘श्री’ से भी संवर जाएगी. तब धरती माता में समा जाने के दौरान श्री-हीन हुई अयोध्या नगरी पुनः अपना वैभव प्राप्त करेगी.
उदयपुर में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निधि समर्पण समिति के कार्यालय में पत्रकारों को उन्होंने जानकारी दी कि मंदिर के 70 एकड़ परिसर में ही माता सीता का भी मंदिर बनेगा, साथ ही अभी मौजूद सीता रसोई में ही मुख्य प्रसाद तैयार होगा जो दर्शनार्थियों को दर्शनोपरांत बांटा जाएगा. अयोध्या में सिर्फ श्रीराम मंदिर की ही योजना नहीं बनी है, अपितु पूरी अयोध्या नगरी को ही वैभवपूर्ण बनाने की कार्ययोजना पर विचार हुआ है. वहां विविध भाषाओं में लिखी गई रामायण का संग्रहालय भी बनेगा और शोध केन्द्र भी. वास्तु के मद्देनजर 70 एकड़ जमीन में आ रहे कोनों को सही करने के लिए जिन भी परिवारों की भूमि-भवन वहां आ रहे हैं, उन्हें आग्रहपूर्वक और उनकी समुचित व्यवस्था के साथ भगवान श्रीराम के कार्य में समाहित किया जाएगा.
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि धर्मशालाएं आदि भी बनेंगी, लेकिन वे मंदिर परिसर में नहीं होंगी. इसके लिए सरकार व स्थानीय प्रशासन स्थान चिह्नित कर चुके हैं. विभिन्न समाजों ने वहां धर्मशालाएं व अन्य सुविधाओं की स्थापना के लिए अनुमति मांगी है. मंदिर निर्माण के साथ वहां आने वाले रामभक्तों के लिए इन सुविधाओं की भी उपलब्धता हो जाएगी. मंदिर परिसर में अधिकृत कार्मिकों के अलावा किसी को भी रात में रुकने की अनुमति नहीं होगी. उन्होंने बताया कि मंदिर का पहला चरण ढाई से तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य है, जिसमें गर्भगृह और पहली मंजिल का कार्य शामिल है, ताकि इस चरण के साथ ही मंदिर में दर्शन का क्रम शुरू किया जा सके.
उन्होंने कहा कि देश इतिहास लिखने जा रहा है. 492 वर्ष के संघर्ष में मंदिर के लिए 76 युद्ध लड़े गए, 77वां संघर्ष 1990 व 1992 में किया गया. इसके बाद लम्बी कानूनी लड़ाई रही और 09 नवम्बर, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने मंदिर निर्माण की राह प्रशस्त की. करोड़ों देशवासियों की अटूट श्रद्धा के केन्द्र भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के लिए नगरवासी, ग्रामवासी, गिरिवासी, द्वीपवासी, तटवासी, हर समाज, हर वर्ग का योगदान रहे, इसी विचार को लेकर मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण अभियान मकर संक्रांति (15 जनवरी) से शुरू हो रहा है. इस अभियान में चाहे कण मात्र भी हो, हर परिवार में समर्पण का भाव जगाकर उनसे सहयोग लिए जाने के लिए लाखों कार्यकर्ता घर-घर पहुंचेंगे. देश के 11 करोड़ से अधिक परिवारों तक रामभक्त कार्यकर्ता पहुंचेंगे और उनमें समर्पण की प्रेरणा जगाकर मंदिर निर्माण में सहयोग का आग्रह करेंगे.
कोरोना काल में उत्पन्न आर्थिक स्थितियों के मद्देनजर एक सवाल पर उन्होंने कहा कि समर्पण भाव से हमारा समाज युगों से परिपूर्ण है. पीढ़ियों के संस्कार आज भी विद्यमान हैं जो विषम परिस्थितियों में भी दान-समर्पण की भावना को स्थापित किए हुए हैं. उन्होंने उदाहरण दिया कि अयोध्या में ही मंदिर के पूर्वी द्वार पर भिक्षावृत्ति से जीवनयापन करने वाले एक याचक ने अचानक समिति कार्यालय पहुंचकर यह भावना प्रकट की कि पिछले माह की प्राप्त भिक्षा में से वह 10 प्रतिशत मंदिर निर्माण में समर्पित करना चाहता है. दूसरा उदाहरण उन्होंने एक परिवार का दिया कि जिस परिवार के सदस्य कोरोना ग्रस्त होकर स्वस्थ हुए, उस परिवार की माता ने बेटे के एक लाख और पांच लाख तक के समर्पण को कम बताते हुए कहा कि कम से कम 11 लाख रुपये से कम समर्पण मत करना. ऐसे उदाहरणों से यह भावना स्थापित है कि राम रोम-रोम में विद्यमान हैं, राम के काज के लिए कोई भी नहीं चूकना चाहेगा. उन्होंने कहा कि समिति के कार्यकर्ता सभी के पास पहुंचेंगे, यहां तक कि विरोधियों के पास भी पहुंचकर समर्पण का आग्रह किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि 11 करोड़ परिवारों तक पहुंचने के आंकड़े तीर्थक्षेत्र के समर्पण कूपन से स्वतः सामने आएंगे. कूपन पर कोड अंकित किया गया है ताकि कोई नकल करने का प्रयास करता है तो पकड़ में आ सकेगा. इस अभियान में जुटे कार्यकर्ता दिन भर में जमा राशि रात को अपने पास नहीं रख सकेंगे, साथ ही अभियान में कोई भी अकेला किसी के घर नहीं जाएगा. स्थानीय क्षेत्र के 4-5 कार्यकर्ताओं की टोलियां ही घर-घर पहुंचेंगी.
इस अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के फोल्डर व पत्रक का विमोचन भी किया गया.