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कट्टरपंथियों ने रंगपुर में हिन्दुओं के घरों में तोड़फोड़ कर आग लगाई

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दुर्गा पूजा के दौरान पिछले सप्ताह मंदिर में तोड़फोड़, हिन्दुओं पर हमले के विरोध में प्रदर्शन के बीच बांग्लादेश में कट्टरपंथियों के एक समूह ने हिन्दुओं के 66 घरों पर हमला कर तोड़ फोड़ की. और करीब 20 घरों को आग के हवाले कर दिया.

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सौ से अधिक लोगों की भीड़ ने रविवार की रात को रंगपुर जिले के पीरगंज के एक गांव में आगजनी की. रामनाथपुर यूनियन में माझीपारा के जेलपोली में इस्लामिक कट्टरपंथियों के एक समूह ने हिंदुओं के घरों पर हमला किया. घटना रात दस बजे के बाद हुई. हमले में 66 घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया और 20 घरों को जला दिया गया. करीब 52 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है, वहीं अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर और अधिक संदिग्धों की गिरफ्तारी के लिए सघन अभियान चलाया जा रहा है.

ढाका ट्रिब्यून के अध्यक्ष मोहम्मद सादकुल इस्लाम के अनुसार, उपद्रवी जमात-ए-इस्लामी और छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिविर की स्थानीय इकाई के थे.

पिछले सप्ताह कोमिला सहित विभिन्न क्षेत्रों में हिन्दू मंदिरों पर हमले हुए थे. हिंसा में अब तक सात लोगों के मारे जाने की पुष्टि की जा चुकी है. बांग्लादेश में हिन्दू मंदिरों पर हमले 13 अक्तूबर से शुरू हुए. अष्टमी के दिन मूर्ति विसर्जन के मौके पर कई पूजा मंडपों में तोड़फोड़ हुई. सोशल मीडिया पर अफवाह उड़ी थी कि पूजा पंडाल में कुरान मिली है, जिसके बाद कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुईं. उपद्रवियों ने चिट्टागांव के कोमिला इलाके में दुर्गा पंडालों पर हमले किए, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी.  इसके अलावा चांदपुर, चिट्‌टागांव, गाजीपुर, बंदरबन, चपाईनवाबगंज और मौलवीबाजार में कई पूजा पंडालों में तोड़फोड़ की गई.

पूरे घटनाक्रम पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गुरुवार को अपने सरकारी आवास से ढाका स्थित ढाकेश्वरी मंदिर में महानगर सार्वजनिक पूजा कमेटी द्वारा आयोजित महानवमी दुर्गा पूजा में वर्चुअली सम्मिलित होकर हिन्दू समुदाय से कहा था – “आपको इस देश का नागरिक माना जाता है. आप समान अधिकारों के साथ रहते हैं. आपको समान अधिकार हासिल रहेंगे. आप समान अधिकार के साथ अपने धर्म का पालन करेंगे और त्यौहार मनाएंगे. यही हमारे बांग्लादेश की वास्तविक नीति और हमारा आदर्श है.”

हालांकि, प्रधानमंत्री के आश्वासन के बाद भी वास्तविकता यही है कि बांग्लादेश का अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय वहां सुरक्षित नहीं है. बांग्लादेश बनने के समय वहां हिन्दू जनसंख्या लगभग 22 प्रतिशत थी जो आज घटकर 8 प्रतिशत रह गई है. पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश के भीतर कट्टरपंथी इस्लामिक विचारधारा ने तेजी से पैर पसारे हैं. जिसका निशाना अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय रहा है. हाल में हो रही हिंसा के पीछे 2013 से प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी की छात्र इकाई “बांग्लादेशी इस्लामिक छात्र शिविर” का हाथ बताया जा रहा है.

जमात ए इस्लामी पर 2013 में अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के विरुद्ध बड़े पैमाने पर हुई हिंसा में संलिप्तता की जानकारी मिलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, इस हिंसा में 87 लोगों की मौत हो गई थी.

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