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फिल्म फेस्टिवल – अमेजन पर प्रसारित होंगी नवांकुर की सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्में

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मेरठ में मुंबई के पृथ्वी थिएटर जैसा थिएटर बनाने का है सपना – तरुण राठी

मेरठ. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल और मेरठ चलचित्र सोसायटी की ओर से आयोजित नवांकुर-2023 लघु फिल्म फेस्टिवल में पांच मिनट कैटेगरी में सहारनपुर की फिल्म ‘चिज्जी’ और 15 मिनट कैटेगरी में मेरठ की फिल्म ‘अलार्म घड़ी’ को प्रथम पुरस्कार मिला.

नए व उभरते फिल्मकारों की कला की प्रशंसा करते हुए उत्तर प्रदेश फिल्म विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष तरुण राठी ने कहा कि नवांकुर की फिल्मों को वह अपने मुंबई कार्यालय में देखेंगे और सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को अमेजन पर प्रसारित करवाएंगे. अमेजन की ओर से ऐसे उभरते कलाकारों की फिल्मों के प्रसारण के लिए भी मंच प्रदान किया जाता है. मेरठ के बहुत से कलाकार व फिल्म निर्देशक मुंबई में काम करते हैं, लेकिन जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में नोएडा में सबसे बड़ी फिल्म सिटी बनने जा रही है. इसे प्रदेश के साथ ही देश के अन्य क्षेत्रों के कलाकारों को भी अपनी कला का प्रदर्शन करने का पूरा मौका मिलेगा. इसमें सबसे ज्यादा लाभ वर्तमान में उभरते कलाकारों और फिल्मकारों को मिलेगा जो अगले कुछ सालों में अच्छी फिल्में समाज को देंगे और फिल्म सिटी बनने के बाद उन्हें पहचान मिलेगी.

तरूण राठी ने कहा कि पत्रकारिता के साथ ही फिल्म प्रोडक्शन, शॉर्ट फिल्म, वेब सीरीज आदि रचनात्मक क्षेत्र है और इसमें करियर बनाने वाले युवाओं की रचनात्मक हमेशा बढ़ती रहेगी. यह क्षेत्र करियर के लिहाज से इसलिए भी अच्छा माना जाता है क्योंकि यहां आजीवन एक व्यक्ति हमेशा कुछ नई रचना करने को प्रेरित रहता है और करता भी है. फिल्मों के साथ ही रंगमंच को भी बढ़ावा मिलना चाहिए. दिल्ली और मुंबई जैसी जगह पर रंगमंच काफी आगे है और वहां थिएटर प्रस्तुतियां देखने वाले और प्रशंसक भी बहुत हैं. प्रदेश में भी कुछ जगहों पर रंग मंच है, लेकिन इसे बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि वह मुंबई के पृथ्वी थिएटर के तर्ज पर मेरठ में एक थिएटर बनाना चाहते हैं. यहां जगह व सहयोगी जब भी मिलेंगे, वह इस ओर आगे जरुर बढ़ना चाहेंगे.

मुख्य अतिथि दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर अनंत विजय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कला पर ध्यान दिया गया है. विद्यार्थियों को इसके क्रेडिट भी मिलेंगे. यह बदलाव स्वतंत्र भारत का बहुत बड़ा बदलाव है, जहां स्कूली स्तर से ही बच्चों में कला क्षेत्र में आगे बढ़ाने की प्रेरणा मिलेगी. फिल्म निर्माण में कहानी बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती है. ओटीटी पर आ रही वेब सीरीज हमें आसपास की भारतीय कहानी दिखती हैं और उन्हें प्रमुखता मिलने लगी है, जो बड़ी फिल्मों में नहीं मिला करती. हाल ही में भारत सरकार और बांग्ला देश के संयुक्त तत्वाधान में बनी फिल्म पर कहा कि यह फिल्म बांग्ला देश के स्वतंत्रता सेनानी मुजीबुर्रहमार पर बनी है, लेकिन फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल ने इस फिल्म में कहीं भी बांग्ला देश में पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अत्याचार को नहीं दिखाया है. उन्होंने नवांकुरों को फिल्म के कंटेंट और इंटेंट की बारीकियों को समझने के लिए कुछ फिल्मों के उदाहरण दिए, जिनमें विषय कुछ और था, दिखाया कुछ और गया और संदेश कुछ और गया. उन्होंने युवा फिल्मकारों को इससे बचने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि देश में फिल्म संस्कृति बननी चाहिए और यह बनती है तो राष्ट्र निर्माण में योगदान भी करती है.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम सिंह ने भी विचार रखे. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. संजीव शर्मा एवं संचालन बीनम यादव ने किया.

131 फिल्मों में 10 फिल्में हुई पुरस्कृत

वर्ष 2023 के नवांकुर फिल्म फेस्टिवल में उत्तर प्रदेश सहित आसपास के प्रदेशों व शहरों से आई 131 लघु फिल्मों में से 10 फिल्मों को पुरस्कृत किया गया. पहले वर्ग में 5 मिनट तक की फिल्में थीं. वहीं दूसरे वर्ग में 15 मिनट तक की लघु फिल्मों को लिया गया. दोनों वर्ग में दो-दो फिल्मों को प्रथम और द्वितीय पुरस्कार मिले. वहीं दोनों ही वर्ग में तीन-तीन फिल्मों को सांत्वना पुरस्कार भी दिया गया. रविवार को अटल सभागार में आयोजित फेस्टिवल के समापन समारोह में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के निदेशक डॉ. प्रशांत कुमार ने कहा कि जिस तरह दूध से दही, मक्खन और घी निकालने तक की प्रक्रिया होती है, उसी तरह चयन समिति ने प्राप्त फिल्मों में से सर्वश्रेष्ठ फिल्मों का चयन किया है.

पांच मिनट की कैटेगरी

प्रथम : चिज्जी, नितिन कुमार, सहारनपुर

द्वितीय : आई लव माई सिटी, पूजा शर्मा, मेरठ

सांत्वना पुरस्कार

– वृंदावन

– महात्मा विदुर

– थैंक यू बेटा

15 मिनट की कैटेगरी

प्रथम : अलार्म घड़ी, शुभम शर्मा, मेरठ

द्वितीय : द लास्ट काल, मेरठ

सांत्वना पुरस्कार

– डेड: द अनकंवेंशनल लाइफ

– फोमो, अतुल शर्मा

– तुम ही हो बंधु सखा तुम्ही, आईआईएमटी

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