सांगली, 17 दिसंबर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि हमारी गृहस्थी हो या राष्ट्र की गृहस्थी, उसे अध्यात्म का अधिष्ठान होता है. अध्यात्म का महत्त्व भारत ने पहचान लिया है. इसी कारण हमारा देश भौतिक जीवन और आध्यात्मिक जीवन में अंतर नहीं करता. विज्ञान और अध्यात्म को अलग नहीं माना जाता, बल्कि उसमें संतुलन रखना चाहिए.
शहर के कैवल्यधाम मंदिर में प. पू. सद्गुरू तात्यासाहेब कोटणीस महाराज शताब्दी पुण्यतिथि महोत्सव के उपलक्ष्य में कोटणीस महाराज के चांदी के सिक्के का विमोचन डॉ. मोहन भागवत जी ने किया. इस अवसर पर सद्गुरू ह.भ.प. गुरूनाथ कोटणीस महाराज, विधायक सुधीर गाडगील, गणेश गाडगील, संजय कोटणीस आदि उपस्थित थे. सरसंघचालक जी ने कोटणीस महाराज की समाधि का दर्शन किया और संग्रहालय का निरीक्षण किया. साथ ही कोटणीस परिवार से संवाद किया.
उन्होंने कहा कि संत, भूदेव के समक्ष नम्र होकर चलना चाहिए. इसके लिए हमेशा सदाचार व सत्कर्म होने चाहिए. इसके चलते हर तरफ मंगल होना चाहिए. ईश्वर समर्पित लोगों का समूह तैयार हुआ तो विश्व की प्रणाली ठीक-ठाक चलती है. मानव को बुद्धि, विचार व मन है. इसलिए हर तरफ ठीक-ठाक चल रहा है या नहीं यह देखने का उत्तरदायित्व मनुष्य का है. अध्यात्म का महत्व हमारे देश ने पहचाना है. भारत का आध्यात्मिक प्रवाह प्राचीन समय से चलते आ रहा है. सभी संप्रदाय अध्यात्म की गंगा साधारण लोगों तक पहुंचा रहे हैं. प्राचीन काल से ही जीवन कैसे जीना है, सत्कर्म कैसे करें, यह भारत विश्व को बताते आया है. कार्यक्रम का सूत्रसंचलन संजय कोटणीस ने किया.