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लव जिहाद – रकीबुल हसन को आजीवन कारावास, मुश्ताक अहमद को 15 वर्ष का सश्रम कारावास

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शूटर तारा शाहदेव लव जिहाद मामला, सीबीआई विशेष न्यायालय ने तीन आरोपियों को सजा सुनाई

रांची, 5 अक्तूबर 2023.

रांची सीबीआई विशेष न्यायालय ने 5 अक्तूबर, 2023 को नेशनल शूटर तारा शाहदेव के केस में लव- जिहाद एवं प्रताड़ित करने के आरोप में तीनों दोषियों रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन, उच्च न्यायालय के बर्खास्त पूर्व रजिस्ट्रार (विजिलेंस) मुश्ताक अहमद, और रकीबुल हसन की मां कौसर रानी को सजा सुनाई है. जिसमें रकीबुल हसन उर्फ रंजीत कोहली को आजीवन कारावास और 50 हजार जुर्माना, मुश्ताक अहमद को 15 साल का सश्रम कारावास और 50 हजार जुर्माना, कौसर रानी को 10 साल सश्रम कारावास के साथ 25 हजार जुर्माना लगाया है.

वर्ष 2014 में रांची के हिंदपीढ़ी थाना में झारखंड की राष्‍ट्रीय शूटर तारा शाहदेव ने खुद को हिन्दू बताकर धोखे से शादी करने और बाद में जबरन धर्म परिवर्तन कर इस्‍लाम कबूलने का दबाव बनाने और ऐसा नहीं करने पर मारपीट करने पर पति रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन, रकीबुल हसन की मां कौसर रानी और मुश्ताक अहमद पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी. सीबीआई दिल्ली ब्रांच ने 2015 में मामला दर्ज किया था.

प्राथमिकी के अनुसार, 7 जुलाई 2014 को तारा शाहदेव और रकीबुल उर्फ रंजीत कोहली की शादी हिन्दू रीति रिवाज के साथ हुई थी. लेकिन शादी के दूसरे दिन यानी 8 जुलाई को रकीबुल और मुश्ताक अहमद ने तारा को इस्लाम धर्म के मुताबिक निकाह करने और धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया. शादी के कुछ दिनों बाद तारा जब मुश्ताक अहमद के घर इफ्तार पार्टी में गयी तो उसने गलत नीयत से उसके साथ छेड़छाड़ की.

9 साल से चल रही जांच और सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने उक्त सभी को 30 सितंबर को दोषी करार दिया था. जिसके बाद से न्यायिक हिरासत में थे. सीबीआई की ओर से 26 गवाह पेश किये गए. गवाहों और सीबीआई द्वारा प्रस्तुत सबूतों के आधार पर कोर्ट ने रकीबुल हसन उर्फ रंजीत कोहली, मुश्ताक अहमद और कौसर को दोषी करार दिया था. सीबीआई के विशेष कोर्ट ने रकिबुल हसन को IPC की धारा 120B, 376, 323, 298, 506, और 496 में दोषी पाया, उसकी मां कौसर रानी को IPC की धारा 120B, 298, 506, और 323 में दोषी पाया और मुश्ताक अहमद को IPC की धारा 120B और 298 में दोषी पाया.

तारा शाहदेव के वकील ने बताया कि न्यायालय का यह निर्णय स्वागत योग्य है. साथ ही निर्णय लव जिहाद के ऊपर एक कड़ा प्रहार है एवं यह साबित करता है कि लव जिहाद एक सत्य है जो विधर्मी योजनाबद्ध रूप से चला रहे हैं. 9 साल चले इस ट्रायल ने दूध का दूध और पानी का पानी किया है और सबकी आंखें खोलने वाला है.

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