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राजस्थान – यह कैसा लॉकडाउन? लॉकडाउन में भी गोतस्करी की घटनाएं बदस्तूर जारी

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जयपुर. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच राज्य में लॉकडाउन घोषित किया गया है. एक माह से लॉकडाउन घोषित किया गया है, लेकिन कोरोना महामारी के भयावह परिदृश्य के बावजूद गोतस्करी, गोकशी जैसे गोवंश से जुड़े अपराधों में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है. एक माह की अवधि में 20 से अधिक मामले मीडिया में सामने आए हैं. जबकि वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक है.

 कानूनी रूप से दर्ज होते हैं, न मीडिया में आते हैं सभी मामले

उल्लेखनीय है कि गो-तस्करी से जुड़े जितने भी मामले सामने आते हैं और कानूनी रूप से रजिस्टर (एफआईआर) हो पाते हैं, उसका पूरा श्रेय गोरक्षा के कार्य से जुड़े कार्यकर्ताओं और संगठनों को जाता है. ऐसे व्यक्ति और संगठन इन घटनाओं को रोकने के लिए मामले की जानकारी करने से लेकर गो-तस्करों का पीछा करने तक, पुलिस-मीडिया को सूचित करने तक का सारा कार्य अपने सीमित साधनों के माध्यम से करते हैं.

देखने में आया है कि जिन वारदातों की सूचना गोरक्षा से जुड़ी इन संस्थाओं और संगठनों नहीं मिल पाती है, वे मामले न तो कानूनी रूप से दर्ज हो पाते हैं और न ही मीडिया में उनकी कोई चर्चा होती है. अतः गो-तस्करी की सभी घटनाओं की जानकारी कर पाना आसान नहीं है. साथ ही मीडिया की भी रुचि नहीं होती, जितनी  गोरक्षकों की बदनामी से जुड़े प्रसंगों के समय होती है.

गोतस्करी की कुछ प्रमुख घटनाएं

– 25 अप्रैल को गोमांस के साथ दो गो-तस्कर गिरफ्तार. घटना में एक ऑटो में बोरी में भरकर गो-मांस की तस्करी की जा रही थी. चूंकि 25 अप्रैल को महावीर जयंती थी, ऐसे में गो-मांस तस्करी का यह मामला और अधिक संगीन हो जाता है.

– 28 अप्रैल को अलवर जिले के मिर्जापुर नामक स्थान पर खुलेआम किसी नियम व क़ानून की चिंता किए बिना बड़े स्तर पर गोकशी की वारदात को अंजाम दिया गया. वहाँ पुलिस के पहुंचने से पूर्व ही इस घटना को अंजाम दे रहे 7 से अधिक गो-तस्कर गोवंश को मौत के घाट उतार कर भाग निकले. मौके से पुलिस को 3 मृत गोवंश और कुछ अवशेष बरामद हुए. घटना के छह दिन बाद 4 मई को मिर्जापुर गाँव से ही पुलिस ने फरार गो-तस्करों में से तीन रशीद, इलियास व शाहिद को गिरफ्तार कर लिया.

– 4 मई को इसी प्रकार की एक और घटना भरतपुर जिले के गोपालगढ़-पहाड़ी क्षेत्र के पिरुका में घटी. यहाँ 8-10 गो-तस्कर दो लग्जरी वाहनों (एंडेवर और स्कार्पियो) द्वारा गोवंश की तस्करी करके हरियाणा ले जा रहे थे. गौरक्षा दल की सूचना पर प्रशासन द्वारा नाकाबंदी की गई. नाकाबंदी वाले स्थान पर पुलिस को अपनी ओर आता देखकर गो-तस्करों ने अंधाधुंध फायरिंग करना शुरू कर दिया. इसी बीच मुबीन नाम का एक गो-तस्कर अपने ही साथी की गोली से घायल हो गया. यह देखकर शेष गो-तस्कर भाग निकले. पुलिस ने उक्त वाहनों से 5 गोवंश बरामद कर गो-तस्कर मुबीन को गिरफ्तार कर लिया. यहाँ हथियारों का भारी असला भी बरामद हुआ, जिसमें मुबीन के कब्जे से एक 12 बोर कट्टा, एक जिंदा कारतूस व पांच खाली खोखे मिले तो वहीं वाहनों से पांच 315 बोर के खाली खोखे, 12 बोर के चार जिंदा कारतूस तथा 10 लीटर कच्ची शराब भी बरामद हुई.

– इसी बीच अलवर के किशनगढ़वास में ऐसा ही मामला समाने आया. यहाँ 5 मई को गाँव-ओदरा के कच्चे रास्ते से एक पिकअप द्वारा गोवंश की तस्करी की जा रही थी. पुलिस टीम ने उक्त वाहन का पीछा कर पिकअप को चालक सहित कब्जे में लेकर 3 गोवंश को मुक्त करवाया.

– 6 मई को तड़के झालावाड़ में भी गो-तस्करी का एक बड़ा प्रकरण सामने आया. यहाँ सारंगखेड़ा गाँव में गोवंश से भरा एक ट्रक जब्त किया गया. इस ट्रक से 49 गोवंश को मुक्त करवाया गया, जिसमें से 5 की ट्रक में ही दम घुटने से मौत हो गई. ट्रक चालक सहित अन्य गो-तस्कर फरार हो गए.

– 10 मई को भरतपुर जिले के सीकरी थाना पुलिस ने कस्बे की सोलपुर/ कुतुकपुर पट्टी में अपने घर से गोमांस बेचते हुए मुबीन मेव को गिरफ्तार किया. उक्त अपराधी के पास से 40 किलो गोमांस और गोकशी में प्रयुक्त होने वाले हथियार भी बरामद हुए.

– 11 मई को भरतपुर जिले के ही कामां और डीग से गो-तस्करी के दो अलग-अलग मामले सामने आए. कामां में ताहिर मेव और खूबी मेव को एक गोवंश की तस्करी करते हुए रंगेहाथ पकड़ा गया. दोनों पैदल-मार्ग से इस गोवंश को हरियाणा ले जा रहे थे. वहीं डीग की खोह थाना पुलिस ने एक नन्दी को गोकशी से मुक्त करवा कर गो-तस्कर शौक़ीन को गिरफ्तार किया. इसी दिन पुलिस ने कामां के पहाड़ी नामक इलाके सेअंतरराज्यीय गो-तस्कर जब्बा उर्फ जावेद मेव को अवैध कट्टे के साथ गिरफ्तार किया, जिस पर पांच हजार का ईनाम घोषित था.

– 16 मई को अलवर के भिवाड़ी के खुशखेड़ा से गोतस्करी के प्रकरण का पर्दाफाश हुआ. यहाँ एक पिकअप से 5 गोवंश (बछड़ों) को मुक्त करवा कर गो-तस्कर हसन मोहम्मद को गिरफ्तार किया गया.  गोवंश को हरियाणा ले जाया जा रहा था. इस दिन तिजारा (अलवर) की शेखपुर पुलिस ने गोकशी की घटना को रोका. मुखबिर की सूचना पर जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो वहां देखा कि पांच लोग एक गाय को बांधकर लाठी-डंडों के प्रहार से बेहाल करके जमीन पर पटके हुए हुए हैं. इनमें से चार आरोपी (फकरू, इलियास, मोहम्मद व सपन्न मेव) अँधेरे का फ़ायदा उठाते हुए भाग गए और ईशा खाँ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

बेबस है शासन-प्रशासन

उपर्युक्त घटनाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि राजस्थान लॉकडाउन के लागू होने के बावजूद गोतस्करी की घटनाओं में कोई कमी नहीं हुई है. जब किसान-मजदूर से लेकर समाज का हर व्यक्ति घरों में बंद है और आपातकालीन सेवाओं के अलावा किसी को भी एक-से-दूसरे जिले में जाने की अनुमति नहीं है तो फिर ये गो-तस्कर सरलता से एक-दो जिलों की सीमा तो क्या राज्य के बॉर्डर को पार कर धड़ल्ले से दूसरे राज्यों तक तस्करी करते हुए पहुँच जाते हैं और प्रशासन मूकदर्शक बना देखता रहता है.

इस बार मेवात के साथ-साथ हाडौती एवं मेवाड़ अंचल से गो-तस्करी की घटनाएं सामने आईं हैं. पिछले दो-तीन वर्षों में मध्यप्रदेश की सीमा से लगे कोटा-बारां तथा चित्तौड़गढ़-झालावाड़ जैसे जिलों में भी गोतस्करी के ग्राफ में एकाएक अभिवृद्धि हुई है. मेवात में सामान्यतः 4-6 गोवंश को कभी पिकअप, कभी स्कॉर्पियो, कभी ऑटो से तस्करी करके ले जाया जाता है, किन्तु हाड़ौती-मेवाड़ क्षेत्र में बड़े-बड़े ट्रकों और कंटेनरों के माध्यम से गो-तस्करी के मामले सामने आए हैं, जिनमें 35 से 50 गोवंश की एक साथ तस्करी की जाती है. आज पूरे प्रदेश में निडर होकर जिस तरह गो-तस्कर अपनी गतिविधियां चला रहे हैं वह दर्शाता है कि न इन्हें पुलिस का भय है और न ही प्रशासन का.

 

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