करंट टॉपिक्स

वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को साकार करते हुए श्रेष्ठ भारत आगे बढ़ रहा है

जयपुर. आदर्श शिक्षा परिषद (विद्या भारती) कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन शनिवार को अंबाबाड़ी उच्च माध्यमिक बालिका आदर्श विद्या मंदिर में संपन्न हुआ. कार्यकर्ता सम्मेलन के...

समरस, समृद्ध, निर्दोष और श्रेष्ठ भारत बनाने के लिए संकल्पित हों – दीपक विस्पुते

ग्वालियर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य क्षेत्र प्रचारक दीपक जी विस्पुते ने कहा कि जब समाज जागरुक होगा, तभी भारत परम वैभव के शिखर पर स्थापित...

सुखी रहने का आधार निरामय जीवन – भय्याजी जोशी

इंदौर (विसंकें). श्री गुरु जी सेवा न्यास इंदौर के तत्वाधान में सुसंस्कारित स्वास्थ्य सेवा की राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र में भय्याजी जोशी ने कहा...

राष्ट्र चिंतन लेखमाला – जाग रहा है सुप्त ‘सनातन’

नरेंद्र सहगल सनातन भारत का जागरण काल प्रारंभ हो चुका है. सनातन जगेगा तो भारत बचेगा. भारत बचेगा तो विश्व बचेगा. सनातन अर्थात मानव कल्याणकारी...

सर्वे भवंतु सुखिनः का दायित्व पूरा करने के लिए आपदा में तुर्कीये के साथ खड़ा हुआ भारत

नई दिल्ली. भले ही तुर्कीये भारत का विरोध करने के लिए पाकिस्तान के साथ खड़ा होता रहा हो, लेकिन भारत सर्वे भवंतु सुखिनः का अपना...

भारतीय संस्कृति में महिला व पुरूष एक समान – मोनिका अरोड़ा

भोपाल. सर्वोच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने कहा कि भारत में नारी की सदैव गरिमा रही है. नारी ने विद्वानों, ऋषि, महर्षि, शंकराचार्य से शास्त्रार्थ किया. लेकिन...

भारतीय है संविधान की आत्मा

‘हम भारत के लोग - हम भारत के लोगों ने भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने और अपने सभी नागरिकों को सुरक्षित करने का...

समाज में परिवर्तन करने के लिये सैकड़ों पीढ़ियों की साधना लगती है – स्वप्निल जी कुलकर्णी

ब्यावरा, भोपाल. स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर के प्रांगण में संघ शिक्षा वर्ग सामान्य में आए शिक्षार्थियों ने बीस दिवसीय प्रशिक्षण में साधना पश्चात् प्रगट कार्यक्रम...

‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ में निहित मानवाधिकार

सूर्यप्रकाश सेमवाल सर्वे भवन्तु सुखिनः के भारतीय सनातन विचार में “शन्नो अस्तु द्विपदे शन्नो अस्तु चतुष्पदे”  का व्यापक भाव विद्यमान है. बुद्धि, विवेक और चेतना...

स्वार्थहीन सेवा का होता है सम्मान : भैया जी जोशी

हरिद्वार (विसंके). सेवा के लिये संवेदनशील अन्तःकरण की आवश्यकता होती है. ईसाइयों की सेवा का हम सम्मान करते हैं. लेकिन उनकी सेवा स्वार्थहीन हो तभी...