करंट टॉपिक्स

समाज सुधारक वीर सावरकर

स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर (28 मई, 1883 से 26 फरवरी, 1966) निडर स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, लेखक, नाटककार, इतिहासकार, राजनीतिज्ञ और दार्शनिक थे. उनके साहित्य...

भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रणेता वीर सावरकर – उदय माहुरकर

सीकर. शेखावाटी साहित्य संगम के दूसरे दिन का शुभारंभ आशुतोष द्वारा बाँसुरी वादन के साथ किया गया. प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि भारतीय गणराज्य के...

हैदराबाद नि:शस्त्र प्रतिरोध – जब बाबासाहेब आंबेडकर ने हैदराबाद निजाम को भारत का शत्रु कहा था  

डॉ. श्रीरंग गोडबोले हैदराबाद निजाम के संबंध में तत्कालीन तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय नेताओं की भूमिकाओं को समझना आवश्यक है. ये तीन नेता हैं - महात्मा...

गणेश उत्सव – लोकमान्य व वीर सावरकर की प्रेरणा से उत्सव राष्ट्रीय पर्व बन गया था

प्रवीण गुगनानी भारत में सार्वजनिक गणेशोत्सव सातवाहन, राष्ट्रकूट और चालुक्य वंशों से लेकर शिवाजी के शासन तक निर्बाध चलता रहा है. पेशवाओं के समय पर...

21 जून पुण्यतिथि पर विशेष – अमर स्वतंत्रता सेनानी डॉ. हेडगेवार

नरेंद्र सहगल प्रखर स्वतंत्रता सेनानी डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा 1925 में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने जन्मकाल से आज तक नाम, पद, यश,...

वीर सावरकर न होते तो देश को लताजी की आवाज सुनने को न मिलती – डॉ. हरीश भिमानी

भोपाल. चित्र भारती फ़िल्म फेस्टिवल में 26 मार्च को आयोजित तीसरी मास्टर क्लास सुप्रसिद्ध गायिका स्वर्गीय लता मंगेशकर को समर्पित रही. 'यादें : लता मंगेशकर' कार्यक्रम...

पुस्तक समीक्षा – आत्मदैन्य से मुक्ति का विमर्श है ‘भारतबोध का नया समय’

लोकेन्द्र सिंह पत्रकारिता के आचार्य एवं भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी की नयी पुस्तक ‘भारतबोध का नया समय’ शीर्षक से आई है....

प्रेरक घटनाएं पाठ्यक्रम का हिस्सा न होना दुर्भाग्यपूर्ण – निम्बाराम जी

जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम जी ने कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि प्रेरणा देने वाली घटनाएं आज हमारे...

स्वाधीनता का अमृत महोत्सव : भ्रान्तियों के निवारण का महापर्व – 2

अवनीश भटनागर एक और अटपटा किन्तु विचारणीय प्रश्न जब हम यह चर्चा कर रहे हों कि भारत पराधीन कब हुआ, तो यह विचार करना भी...

वामपंथियों-धर्मनिरपेक्ष समूहों का लता जी के खिलाफ घृणित दुष्प्रचार

वामपंथी या कहें कि वर्तमान में पनपी कथित धर्मनिरपेक्षता के पैरोकारों का समूह जो मूल में लगभग एक ही हैं, और ऐसे समूह अमूमन सांस्कृतिक...