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मंदिर अधूरे नहीं होते, मंदिर निर्माण सतत् प्रक्रिया है…

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कुछ लोग कह रहे हैं कि अभी मंदिर पूरा भी नहीं बना तो उद्घाटन क्यों हो रहा है?

भैया, अभी रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है. आप चिंता न करें, जैसे ही मंदिर पूरा बनकर तैयार होगा, तब आपके मन की संतुष्टि के लिए उसका भी भव्य आयोजन होगा.

वैसे, मंदिर कभी अधूरा नहीं होता, मंदिर निर्माण सतत चलने वाली प्रक्रिया है. आपने अपने आसपास के कई मंदिर देखे होंगे, जो धीरे–धीरे बनते रहे और आज विशाल रूप में होंगे. अभी भी उनका विस्तार कार्य चल ही रहा होगा.

सोमनाथ मंदिर में 11 मई, 1951 को राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भगवान सोमनाथ शिवलिंग की प्रतिष्ठा की. इस समय मंदिर पूर्णरूप से बनकर तैयार नहीं हुआ था. और हां, श्री सोमनाथ मंदिर के निर्माण में पूज्य शंकराचार्य जी शामिल नहीं हुए थे.

शिवलिंग की प्रतिष्ठा के बाद श्री सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष महाराजा जामसाहेब दिग्विजय सिंह जी के मार्गदर्शन में मंदिर का निर्माण चलता रहा. जब सभामंडप और शिखर का निर्माण पूरा हुआ, तब उन्होंने महारुद्रयाग कराया. 13 मई, 1965 को अपने करकमलों से कलश प्रतिष्ठा करके मूल्यवान कौशेय ध्वज लहराया. मंदिर का निर्माण यहां पूरा नहीं हुआ, बल्कि इसके बाद भी निर्माण कार्य चलता रहा.

महाराजा दिग्विजय सिंह जी के स्वर्गवास के बाद उनकी स्मृति में श्रद्धेय राजमाता गुलाब कुंवर बा ने सोमनाथ मंदिर के सामने भव्य और कलात्मक द्वार बनवाया, जिसे ‘दिग्विजय द्वार’ नाम दिया गया. इसका उद्घाटन श्री सत्य साईंबाबा के वरद हस्त से 19 मई, 1970 को किया गया. द्वार के सामने ही सरदार पटेल मेमोरियल हाल समिति ने लौहपुरुष सरदार पटेल की कांस्य प्रतिमा स्थापित कराई, जिसका अनावरण श्री रविशंकर महाराज ने किया.

इसके बाद भी सोमनाथ मंदिर का निर्माण कार्य चलता रहा. मोरारजी भाई देसाई इसके अध्यक्ष बने. उनकी प्रेरणा से सोमनाथ मंदिर के सभामंडप के समीप नृत्य मंडप का निर्माण संपन्न हुआ. अभी तक वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में श्री सोमनाथ मंदिर का विस्तार कार्य चलता रहा है. ईश्वर की कृपा से और प्रधानमंत्री के प्रयासों से श्री सोमनाथ मंदिर को और भव्यता प्राप्त हुई है.

#SabkeRam

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