बिहार की राजधानी पटना के बाद अब झारखंड की राजधानी रांची के राड़गांव जिले की तमाड़ मस्जिद से तीन चीनी और अन्य आठ विदेशी मौलवियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. जिनमें चार किर्गिस्तान और चार कजाकिस्तान से हैं.
पुलिस जांच में इन मौलवियों की पहचान चीन के मा मेंनाई, ये देहाइ, मा मरेली, तथा किर्गिस्तान के नूर करीम, नारलीन, नूरगाजिन, अब्दुल्ला और कजाकिस्तान के मिस्नलो, साकिर, इलियास के रूप में हुई है. पटना मामले की तरह इन मौलवियों ने भी खुद को पूछताछ में मजहब प्रचारक के रूप में बताया है. पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर इन सभी को क्वारेंटाइन के लिए मुसाबनी स्थिति कांस्टेबल ट्रेनिंग स्कूल भेज दिया है.
सभी विदेशी मौलवियों ने पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त भारत की अलग-अलग मस्जिदों में बिताया है. निर्धारित योजना के अनुसार 19 मार्च को रांची से बस द्वारा जमशेदपुर जाने के लिए राड़गांव के तमाड़ मस्जिद में पांच दिन से रुके थे. इसकी जानकारी न तो सरकार को थी और न ही स्थानीय पुलिस प्रशासन को. देश में कोरोना वायरस को लेकर लोगों में डर होने के चलते गांव में विदेशी मौलवियों के आने की सूचना फैली तो पुलिस को भी जानकारी मिली.
पूरा विश्व जब वैश्विक महामारी के संकट से जूझ रहा है. दुनिया के लगभग सभी देश लॉकडाउन हो चुके हैं. भारत भी इस समस्या से लड़ रहा है. फिर ऐसे में ये विदेशी मौलवी यहां क्या कर रहे हैं. लोगों को अपनी जान की पड़ी है. सरकार और प्रशासन कोरोना से निपटने के लिए घरों में रहने के आदेश दे रही है. वहीं दूसरी तरफ विदेशी मौलवियों को मस्जिदों में मजहबी धर्म प्रचार के लिए आश्रय दी जा रही है.
फिलहाल कोरोना जैसे संकट के समय बिना मेडिकल जांच के चुपचाप विदेशी मौलवियों का भारत में आना कई सवाल खड़े कर रहा है. धर्म प्रचार-प्रसार के नाम पर इनका क्या मकसद हो सकता है. पुलिस को सख्ती से पूछताछ करनी चाहिए.