मेरठ (विसंकें). मनुष्य का शरीर जैसे पांच तत्वों से मिलकर बना होता है, उसी तरह भारत में पांच प्रमुख त्यौहार हैं. जिसमें से एक होली है. विश्व संवाद केन्द्र द्वारा आयोजित पत्रकार होली मिलन समारोह में हिन्दुस्तान के सम्पादक सूर्यकांत द्विवेदी ने होली के ऐतिहासिक, सैद्धांतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व को विस्तार से समझाया. होली के त्यौहार को उन्होंने संस्कृति से जोड़ने के साथ-साथ उसके धार्मिक पक्ष को भी समझने की सलाह दी.
कार्यक्रम में रागिनियों, कविताओं, भजन, चटुकलों, गीत एवं छंदों के माध्यम से होली के पर्व को मनाया गया. लोकेश धामा एवं साथियों ने सामाजिक बुराइयों एवं होली के सन्दर्भ में कई रागनियां प्रस्तुत की, जिनमें मुख्य रूप से शराब की बुरी लत के कारण परिवार का क्या हाल होता है…. कुछ इस तरह ब्यां किया. ‘‘बहन सही नहीं जाती, मेरे गांव में आई बारात, मेरे घर में आ गए चार बाराती. पहला बाराती आया दिल्ली ओर का, थोंद के मैं दाब रखा, पैठाजन किठौर का, भर-भर प्याली दारू पी के, टिरक हो गया लोड का. खाट के पे मूत गया, नाश कर गया सौड का. जुल्म घने घाल गया घाती, बहन सही नहीं जाती.’’
होली मिलन कार्यक्रम में भजनों के माध्यम से भी मनोरंजन किया गया. पं. ब्रजकिशोर तिवारी ने ‘ओ सुन ले नंद किशोरी’ जो तुने मौसे न खेली होली, तेरी-मेरी कट्टी है जायेगी .’ दूसरा भजन ‘आज ब्रज में होली है रे रसिया’. इसके अतिरिक्त कई पत्रकारों ने अपनी-अपनी रचनाओं के माध्यम से सभागार को होलीमय कर दिया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पवन गोयल ने कहा कि भारत में होली एक प्रमुख त्यौहार है. उन्होंने सभी पत्रकारों से अपील की कि सभी पत्रकार होली के अवसर पर अपनी लेखनी के माध्यम से प्यार का संदेश देकर पर्व को विशेष बनायें. कार्यक्रम को अजय मित्तल ने भी सम्बोधित किया. अतिथियों एवं कार्यक्रम में आये सभी पत्रकारों का धन्यवाद डॉ प्रशांत ने किया. मंच संचालन डॉ चरण सिंह स्वामी ने किया.