मेरठ (विसंकें). विश्व संवाद केन्द्र एवं विद्योत्तमा विचार मंच द्वारा बसंत पंचमी पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रंजीत जैन ने गुरु की तुलना भगवान से की. उन्होंने कहा कि आज टेलीविजन और मोबाइल समाज में विघटन का कारण बन रहा है. इसलिये हमें अपनी संस्कृति को बचाने के लिये इनके दुष्प्रभावों के प्रति जागरुक रहना होगा. बसंत पंचमी के संदर्भ में कहा कि यह पर्व नवीनता का पर्व है, इसलिये हम सभी अपनी बुराइयों को त्यागकर अच्छाईयों को धारण करें.
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के समन्वयक डॉ. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ पर कहा कि अगर मतवाला नहीं होता, निराला भी नहीं होता, क्योंकि मतवाला उनकी पत्र मंडली के सदस्यों ने ही उन्हें यह ‘निराला’ उपनाम दिया. मतवाला के संदर्भ में कहा जाता है कि हास्य और व्यंग्य के क्षेत्र में ऐसी कृति आज तक प्रकाशित नहीं हुई. निराला की कृतियों में छायावाद, प्रगति और प्रयोगवाद तीनों का मिश्रण दिखाई देता है. आजादी के आंदोलनों में विभिन्न भूमिकाओं में रहने के कारण वे अपनी रचनाओं एवं लेखों को छत्तीस उपनामों से लिखते थे.
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार रामगोपाल एवं मीनाक्षी कौशल ने वीर हकीकत राय के बलिदान का स्मरण कराया. कार्यक्रम में कलमपुत्र के सम्पादक चरण सिंह स्वामी, डॉ. वेदप्रभा त्यागी, मधु वासुदेवा ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. पायल अग्रवाल एवं विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष आनन्द प्रकाश अग्रवाल ने सभी का धन्यवाद किया. कार्यक्रम में विभिन्न समाचार पत्रों के पत्रकार एवं गणमान्यजन उपस्थित थे.