देहरादून (विसंके). हरिद्वार देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में चल रहे अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन वैज्ञानिक अध्यात्मवाद पर जोर दिया गया. इस दौरान वक्ताओं ने विज्ञान, नेतृत्व क्षमता और अध्यात्म के समन्वय पर भी चर्चा की.
देसंविवि के मृत्युंजय सभागार में आयोजित परिचर्चा के पहले सत्र में वैज्ञानिक अध्यात्म के समन्वय पर जोर दिया गया. वक्ताओं ने कहा कि बिना योग-अध्यात्म के विज्ञान ज्यादा दूर नहीं जा सकता है. संसार में अभी कई ऐसे रहस्य हैं, जिन्हें केवल अध्यात्म के बूते ही सुलझाया जा सकता है. दोनों अलग दिखायी देते हैं, लेकिन दोनों एक ही सिक्के के पहलू हैं. वक्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि आज का प्रबुद्ध वर्ग हर मान्यता को कसौटी पर कसना चाहता है, ऐसे में विज्ञान को साथ लेकर चलना भी जरूरी है. दूसरे सत्र में बाहर से आये वक्ताओं ने विज्ञान, नेतृत्व क्षमता और अध्यात्म के संबंध का प्रतिपादन किया. वक्ताओं ने कहा कि बिना अध्यात्म के शेष दोनों का कोई महत्व नहीं, अकेले अध्यात्म के बल पर भी सब कुछ नहीं पाया जा सकता. इस मौके पर जगतगुरु अमृतासूर्यानंद महाराज, प्रो.वालदिस पिगरास, विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ.चिन्मय पंड्या, सीएम भंडारी आदि ने विचार व्यक्त किये.