गुजरात (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गुजरात प्रांत द्वारा ग्राम विकास कार्यकर्ता सम्मेलन की कड़ी में गुजरात के चोटिला गांव में कार्यकर्त्ता संमेलन का आयोजन किया गया. रविवार 20 मार्च को आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में 15 जिलों के 254 स्थानों से 727 कार्यकर्ता उपस्थित रहे. कार्यक्रम के प्रारंभ में पू. अमृतगिरी स्वामी जी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा आशीर्वचन हुआ.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पश्चिम क्षेत्र कार्यवाह सुनील भाई मेहता ने कहा कि भारत में ग्राम्य जीवन का अधिक महत्व है. रामायण काल में भगवान श्री राम द्वारा ग्रामीण समाज को ही संगठित कर रावण से युद्ध किया था. आज भी भारतीय सेना में सर्वाधिक सैनिक ग्रामीण क्षेत्र से ही हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गाय महत्वपूर्ण है और गाय के आधार पर ही राष्ट्र की उन्नति संभव है. ग्रामीण क्षेत्र का सादगीपूर्ण जीवन विकास का आधार है.
हमारी आज की शिक्षण व्यवस्था में ही परावलंबन दृष्टिगोचर होता है. इसीलिए समाज में व्याप्त गुलामी की मानसिकता से मुक्त होना आवश्यक है. ग्राम विकास का प्रारंभ संस्कार आधारित शिक्षण से होना चाहिए. समाज में समरसता होनी चाहिए. मंदिर-पानी-श्मशान सभी के लिए उपलब्ध होना चाहिए. क्षुधा मुक्त, रोग मुक्त, व्यसन मुक्त, विवाद मुक्त और शिक्षण युक्त गांव ही आदर्श गांव कहा जा सकता है. आज विश्व भारत की ओर देख रहा है, अतः विश्व को बचाने के लिए भारत की ग्रामीण व्यवस्था को बचाना आवश्यक है.
गुजरात प्रांत सह कार्यवाह किशोर भाई मुंगलपरा ने कहा कि ग्राम स्वराज्य देश की शक्ति का आधार है. पहले गांवों में भौतिक सुविधा कम थी, लेकिन सुख शांति अधिक थी. आज भौतिक सुविधा अधिक है, लेकिन शांति का आभाव है. प्रकृति का संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है. आज ग्राम से युवाओं का पलायन होने के कारण गांव में वृद्ध अधिक देखने को मिलते हैं. हमें हमारी सप्त संपदा (भूमि, जल, वन, जीव, गौ, ऊर्जा और जन) सहजता से प्रकृति ने दी है. अतः हम उसका मूल्य नहीं समझते. किसान जगत का तात है. जब भी नया घर बने, तब उस परिवार को फल देने वाले, औषधि देने वाले तथा छाया देने वाले ऐसे तीन प्रकार के वृक्ष लगाने चाहिए. इस सम्मेलन में सप्त संपदाओ का प्रदर्शन एवं निदर्शन प्रभावी रूप से किया गया. अनुभवी कार्यकर्ताओं द्वारा अनुभव कथन भी किया गया.