गुजरात (विसंकें). भारत सेवाश्रम संघ शताब्दी समापन समारोह के अवसर पर गुजरात के वांसदा में 31 दिसम्बर को “विराट हिन्दू सम्मेलन” का आयोजन किया गया. जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी विशेष रूप से उपस्थित रहे. उन्होंने कहा कि भारत सेवाश्रम संघ के प्रतिष्ठाता युगाचार्य स्वामी प्रणवानंद जी का संदेश हम सबके लिए आज भी महत्वपूर्ण है. संघ में प्रातः एकात्मता स्त्रोत में प्राणवानंद का स्मरण हम रोज करते है. हिमालय से सागर तक फैली अपनी इस भूमी पर रहने वाले किसी भी पंथ, संप्रदाय, धर्म को मानने वाले हम सब हिन्दू है. लेकिन आज हमें इसका स्मरण नहीं है. इसीलिये अपने ही देश में आज हिन्दू समाज संकट में है. जहाँ हमारे पूर्वजों ने महान आदर्श स्थापित किये, वह भूमि हमारी मातृभूमि है.
सरसंघचालक जी ने कहा कि हमारे पूर्वज श्रीराम ने वनवासियों के सहयोग से राक्षसों का वध कर पराक्रम का आदर्श स्थापित किया. आज पोप महाराज बड़े गर्व से कहते हैं, हमने दुनिया के तीन खंडों को इसाई बना दिया, अब एशिया की बारी है. लेकिन 1000 वर्ष में दुनिया के तीन खंडों को इसाई बनाने वाले को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि गत 300 वर्षो में अथक प्रयत्न के बाद भी भारत में 6 प्रतिशत ही इसाई बना पायें है. आज स्थिति यह है कि उनके अपने ही देशों में आज चर्च बिक रहे हैं और वह हमें मतांतरित करना चाहते हैं. हमारे पास एक सत्य धर्म है सनातन धर्म, दुनिया में हमने किसी को मतांतरित नहीं किया. हमारी संस्कृति सनातन संस्कृति है जो सत्य और पराक्रम के आदर्श पर कायम है, हमें अच्छे, पक्के, सच्चे हिन्दू बनाना है और दुनिया को अच्छा बनाना है. हम हिन्दू हैं और हिन्दू ही रहेंगे. चीन ने खुद को धर्मनिरपेक्ष घोषित कर रखा है, लेकिन क्या वह क्रिश्चियन बनने की छूट देगा ? नहीं. पूछा कि क्या मध्य-पूर्व के देश ऐसा होने देंगे ? नहीं. इसलिए अब वह सोचते हैं कि भारत ही ऐसा देश है, जहां यह सब संभव है.
डॉ. मोहन भागवत जी ने इस अवसर पर स्वामी प्रणवानंदजी के सेवा के माध्यम से समाज के बीच जाकर महाजागरण और महामिलन का आह्वान का स्मरण करते हुए कहा कि सेवा द्वारा महाजागरण और हिन्दू समाज का महामिलन हमें सभी समस्याओं से मुक्ति दिलायेगा. हमें सरकार से अपेक्षा न करते हुए समाज को मजबूत बनाना चाहिये. हमें बिना किसी अपेक्षा के सेवा करनी होगी. ऐसा करने से ही हिन्दू समाज मजबूत होगा और दुनिया को संदेश जाएगा.
इस अवसर पर प.पू. स्वामी विश्वात्मानंदजी महाराज (अंतरराष्ट्रीय महामंत्री श्री भारत सेवाश्रम संघ), प.पू. स्वामी अंबरीशानंद जी महाराज (अंतर्राष्ट्रीय सहमंत्री श्री भारत सेवाश्रम संघ), स्वामीनारायण मंदिर (हालोल-कालोल) के स्वामी संतप्रसाद महाराज, वांसदा के युवराज जयवीरेंद्र सिंह जी ने प्रसंगोचित उद्बोधन किया. सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गुजरात प्रांत संघ चलाक मुकेश भाई मलकान, प्रांत कार्यवाह यशवंत भाई चौधरी, 50 हजार से अधिक वनवासी क्षेत्र के बंधु भगिनी उपस्थित रहे. कार्यक्रम के प्रारंभ में वनवासी बंधुओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया.