मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में नर्मदा नदी के तट पर एक गांव ऐसा है, जहां हर-गली, हर मोहल्ले में भगवान शिव हैं. देश ही नहीं विदेशों के ज्यादातर छोटे से लेकर बड़े शिव मंदिरों में जो शिवलिंग स्थापित हैं, वे मध्यप्रदेश के खरगोन के बकावां गांव की देन हैं. नर्मदा किनारे बसे इस गांव में 70 से 100 परिवार ऐसे हैं, जो शिवलिंग गढ़ रहे हैं. जहां नजर दौड़ाओ, वहीं शिवलिंग नजर आते हैं. देश ही नहीं विदेशों में भी बकावा के शिवलिंग स्थापित हो रहे हैं.
यहां 2 इंच से लेकर 16 से 20 फीट तक के शिवलिंग तैयार किए जाते हैं. नर्मदा से निकलने वाला हर कंकर यहां शंकर है. शिवलिंग के पत्थरों पर प्राकृतिक रंग और आकृतियां नजर आती हैं. किसी पर ओम, किसी पर तिलक जैसी आकृतियां दिखाई देती हैं.
नर्मदा से जो पत्थर निकाले जाते है, उन्हें तराशने के बाद विभिन्न धार्मिक आकृतियां बनती है. ॐ भगवान विष्णु का शेषनाग शैय्या पर बैठी आकृतियां शिव पिंडी पर उभर कर आती हैं. इसलिए यहाँ के शिवलिंग देशभर में प्रसिद्ध हैं. सामान्यतः अष्ट अंगुल प्रमाण (अंगूठे के आकार) की शिव पिंडी की घरों में स्थापना की जा सकती है. बकावां में अष्ट अंगुल प्रमाण शिवलिंग भी बहुतायत में मिलते है. छोटी- छोटी पिंडियों पर भी विभिन्न धार्मिक आकृतियां पाई जाती हैं.
2017 में यहां पहली बार सबसे बड़े शिवलिंग का भी निर्माण किया गया था जो 55 क्विंटल वजनी, 23 फीट लंबा और 7 फीट चौड़ा था. इस शिवलिंग को बनाने में करीब 8 मजदूरों को 6 माह का समय लगा था.