करंट टॉपिक्स

जहरीले समूह के एजेंडे को पहचानने की आवश्यकता

बलबीर पुंज सत्य न विचलित हो कभी, सत्य न सकता हार मिटे पाप का मूल भी, करे सत्य जब वार यह पंक्तियां जम्मू-कश्मीर के एक...

लोकतंत्र में व्यक्ति या संगठन के लिए संविधान के प्रावधान का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए – दत्तात्रेय होसबाले जी

आपातकाल के दौरान (1975-1977) की परिस्थितियों, सरकार की दमनकारी नीति, संघ की भूमिका पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी से विश्व संवाद...

स्वतंत्र भारत के इतिहास का काला अध्याय ‘न भूतो, न भविष्यति’

शशिकांत चौथाईवाले पूर्वोत्तर भारत - “आपातकाल के काले दिन की यादें” 26 जून, 1975 उत्तर गुवाहाटी के आउनी आरी सत्र (मंदिर) में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ...

आपातकाल – लोकतंत्र और मौलिक अधिकारों की जघन्य हत्या का काला अध्याय

डॉ. सौरभ मालवीय आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे विवादास्पद एवं अलोकतांत्रिक काल कहा जाता है. आपातकाल को 48 वर्ष बीत चुके हैं, परन्तु...

भारतीय ज्ञान का खजाना – 22

प्रशांत पोळ लोहस्तंभ दक्षिण दिल्ली से महरौली की दिशा में जाते समय दूर से ही हमें ‘कुतुब मीनार’ दिखने लगती है. 238 फीट ऊँची यह...

भारतीय ज्ञान का खजाना – 21

प्रशांत पोळ बाणस्तंभ ‘इतिहास’ बड़ा चमत्कारी विषय है. इसे खोजते-खोजते हमारा सामना ऐसी स्थिति से होता है कि हम आश्चर्य में पड़ जाते हैं. पहले...

‘भारत के स्वराज्य’ का उद्घोष था श्री शिवराज्याभिषेक

छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का 350वीं वर्षगांठ लोकेन्द्र सिंह आज का दिन बहुत पावन है. आज से ‘हिन्दवी स्वराज्य’ की स्थापना का 350वां वर्ष...

अराजकता से शांति की ओर एक संतोषप्रद यात्रा पर ‘कश्मीर’

बलबीर पुंज श्रीनगर में तीन दिवसीय (22-24 मई) जी-20 पर्यटन कार्य समूह की तीसरी बैठक संपन्न हुई. यह घटनाक्रम कश्मीर के संदर्भ में इसलिए भी...

बेटा नहीं बेटी…!!

गोपाल महेश्वरी निपुण शाला से लौट कर आया और मैदान में खेलने चला गया. कबड्डी और खो-खो उसकी मित्र मंडली के प्रिय खेल थे. खूब...

याद करें सन् सत्तावन की वह तलवार पुरानी, रोटी और कमल ने लिख दी युग की अमिट कहानी

1770 से लेकर 1857 तक पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ 235 विद्रोह हुए, जिनका परिपक्व रूप हमें 1857 में दिखाई देता है. 1770 में...