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ट्विटर के रवैये पर केंद्र सरकार सख्त, भारतीय संसद द्वारा पारित कानून का पालन करना ही होगा

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किसान आंदोलन को लेकर ट्विटर पर आपत्तिजनक कंटेंट और विवादित हैशटैग से जुड़े सभी यूआरएल को ब्लॉक करने के निर्देशों पर ट्विटर के रवैये को लेकर केंद्र सरकार सख्त है. ट्विटर इन अकाउंट्स को बंद करने के स्थान पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का तर्क दे रहा है. 1178 में से केवल 500 को बंद कर खानापूर्ति करते हुए ट्विटर मुखिया जैक डोर्सी बेशर्मी के साथ तर्क दे रहे हैं कि सरकार द्वारा भेजी गयी सूची के बाकी ट्वीट  भारतीय कानून के अनुरूप ही हैं.

ट्विटर की हठधर्मिता और लापरवाही को भारत सरकार अब हल्के में न लेकर सख्ती भी कर सकती है. ट्विटर अपने अड़ियल रवैये पर कायम रहता है तो सरकार सख्त कदम भी उठा सकती है. केंद्र सरकार ने स्पष्टा कहा है कि ट्विटर सरकार के निर्देश का पालन आधे-अधूरे मन से कर रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.

केंद्र सरकार के आईटी मंत्रालय के मुताबिक ट्विटर ने अमेरिका के कैपिटल हिल हिंसा मामले में वहां की सरकार के निर्देश का तुरंत पालन किया, लेकिन किसानों के नरसंहार जैसे भ्रामक व दुष्प्रचार वाले ट्वीट को हटाने में आनाकानी और अभिव्यक्ति की आजादी का पाठ भारत को पढ़ा रहा है.

ट्विटर और भारत सरकार के बीच 10 फरवरी को आईटी सेक्रेटरी और ट्विटर के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच एक वर्चुअल बातचीत हुई, जिसमें ट्विटर से सरकारी नियमों के अनुपालन करने के लिए कहा गया. सरकार ने कहा कि किसी भी कंपनी को भारतीय संसद द्वारा पारित कानूनों का पालन करना ही होगा, भले ही इससे इतर कंपनियों के नियम जैसे भी हों.

ट्विटर ने इससे पूर्व 500 से अधिक एकाउंट को सस्पेंड कर दिया था, लेकिन उसने अभिव्यक्ति की आजादी को अक्षुण्ण रखने की आवश्यकता का तर्क देते हुए भारत में कथित किसान आन्दोलन को हवा देने वाले कुछ ‘पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के ट्विटर अकाउंट पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. जिसके बाद सरकार ने दुष्प्रचार और भड़काऊ बातें फैला रहे अकाउंट और हैशटैग के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने में विलम्ब पर ‘कड़ी नाराजगी’ प्रकट की थी.

केंद्र सरकार की ओर से ट्विटर को कड़े शब्दों में कहा गया कि भारत के कानून का पालन करना ही होगा, ऐसा न करने पर आईटी कानून की धारा 69ए के अंतर्गत ट्विटर के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जेल की सजा तक का प्रविधान है. ट्विटर को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) के अंतर्गत गठित कमेटी की तरफ से निर्देश दिए गए थे, जिनका पालन 48 घंटे में हो जाना चाहिए था, लेकिन पालन नहीं किया गया.

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