नई दिल्ली. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के पश्चात भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा का लोहा विश्व ने भी माना था. चंद्रयान-3 की सफल लंडिंग के साथ भारत ने इतिहास रचा था. इसरो के वैज्ञानिक इस ऐतिहासिक सफलता का आधार थे.
चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. पी. वीरमुथुवेल ने अब एक अन्य उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है. उन्होंने 2019 से 2023 तक चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट के चलते एक भी छुट्टी तक नहीं ली. उनके पिता रेलवे में कार्यरत रहे हैं.
चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए तमिलनाडु सरकार ने पी. वीरमुथुवेल और उनके आठ सहयोगियों को 25-25 लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान की थी. पी. वीरमुथुवेल ने पूरी राशि उन संस्थानों को दान कर दी है, जहां उन्होंने पढ़ाई की है. एक अन्य वैज्ञानिक, बेंगलुरु में यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक डॉ. एम शंकरन ने भी थानथई पेरियार गवर्नमेंट आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज, तिरुचिरापल्ली और राजा सेरफोरजी गवर्नमेंट आर्ट्स के पूर्व छात्र संघों को 25 लाख की पुरस्कार राशि दान करने का निर्णय लिया है.
डॉ. वीरमुथुवेल ने कहा कि “मेरी अंतरात्मा मुझे इतनी बड़ी पुरस्कार राशि लेने की इजाजत नहीं दे रही थी, इसलिए दान करना सबसे अच्छा विकल्प था”. अब तक मिली यह पहली पुरस्कार राशि है.
यह पुरस्कार राशि उनकी दो साल के वेतन के बराबर है, इस तरह उन्होंने दो साल से अधिक की सैलरी अल्मा मैटर्स को दान दे दी.
डॉ. वीरमुथुवेल ने कहा, “मैं एक गरीब परिवार से आता हूं, मैंने विल्लुपुरम के एक सरकारी रेलवे स्कूल में पढ़ाई की है और फिर भी पैसा मेरे लिए ज्यादा मायने नहीं रखता है. इसरो हमें राष्ट्रीय विकास में योगदान करने के लिए एक समृद्ध वातावरण देता है और यह सबसे संतोषजनक है.”
अपना घर बनाने के लिए डॉ. वीरमुथुवेल ने भारतीय स्टेट बैंक से 72 लाख रुपये का कर्ज लिया था और वह अभी भी वह कर्ज चुका रहे हैं. फिर भी, उन्होंने 25 लाख रुपये दान दे दिए.
डॉ. वीरामुथुवेल ने कहा कि चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट-लैंडिंग का एक कठिन कार्य पूरा करना था, जिसकी वजह से उन्होंने चार साल तक (2019-2023) एक भी छुट्टी नहीं ली थी.