करंट टॉपिक्स

वैश्विक गणेश / दो – कंबोडिया में सिद्धिविनायक

Spread the love

कंबोडिया में हजार वर्ष से भी ज्यादा समय हिन्दू साम्राज्य था. पहले फुनान, बाद में कंबोज़ और फिर खमेर राजवंशों ने कंबोडिया में हिन्दुत्व की पताका लहराई थी. ईस्वी सन् की पहली शताब्दी से लेकर अगले हजार / बारह सौ वर्षों तक इस विशाल साम्राज्य में हिन्दू संस्कृति अत्यंत गर्व एवं वैभव के साथ फलती – फूलती रही. भारत से काफी दूर स्थित इस देश में लगभग छह सौ / सात सौ वर्षों तक संस्कृत ही राजभाषा के रूप में सम्मानजनक स्थान पर रही. लगभग एक हजार वर्षों तक भव्य मंदिरों का निर्माण हुआ. उपनिषद, पुराण, रामायण, महाभारत, गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथ इस देश के प्रत्येक घर का अविभाज्य अंग रहे. वेद और उपनिषदों की ऋचाएं यहां प्रतिदिन गाई जाती थीं. अर्थात् एक सामर्थ्यशाली, वैभवशाली, ज्ञानशाली रहा. हुआ यह कि विशाल हिन्दू राष्ट्र, लगभग हजार / बारह सौ वर्षों तक सुख-समृद्धि से भरपूर रहा.

विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल, ‘अंगकोर वाट’, अर्थात् हिन्दू मंदिरों का समूह भी कंबोडिया में हैं. अतः यह स्वाभाविक ही है कि भगवान गणेश की अनेक मूर्तियां इस देश में पाई जाती हैं. मेकोंग नदी के किनारे स्थित ‘केंपोंग चाम’ इस शहर के ‘दे दोस’ मंदिर में गणेश जी की भव्य प्रतिमा है.

नोम पेन्ह नदी के किनारे गणेश जी की एक विशाल प्रतिमा है. सातवीं शताब्दी की अनेक गणेश प्रतिमाएं, कंबोडिया के विभिन्न संग्रहालयों में रखी गई हैं. प्रख्यात ‘अंगकोर वाट’ में गणेश जी की अनेक प्रतिमाएं हैं.

कंबोडिया में अल्पसंख्यांक ‘चाम’ समुदाय यह आज भी हिन्दू मान्यताओं को मानता है, तथा हिन्दू देवताओं की पूजा करता है. इनके मंदिरों में आज भी, अपने भारतीय पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी से गणेश उत्सव मनाया जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *