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प्राण प्रतिष्ठा समारोह – घुमंतू समुदाय बनेगा ऐतिहासिक दिन का साक्षी

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कैकाडी समाज के महादेवराय गायकवाड़ प्राण प्रतिष्ठा की पूजा में बैठेंगे

घुमंतू समाज के लिए 22 जनवरी का दिन स्वर्णिम दिवस होगा. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से महाराष्ट्र के घुमंतू समाज के प्रतिनिधियों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण दिया गया है. गांव से बाहर रहने वाला घुमंतू समाज आज सही मायनों में गांव में आया है.

घुमंतू समाज के सामाजिक जीवन का यह स्वर्णिम दिन होने का एक अन्य प्रमुख कारण है – 22 जनवरी को 11 परिवार प्रभु रामचन्द्र की विशेष पूजा में बैठने जा रहे हैं. विशेष पूजा में समाज के प्रतिष्ठित नागरिक उपस्थित रहेंगे. कैकाडी समाज के सक्रिय कार्यकर्ता धाराशिव जिले के महादेवराव गायकवाड़ को भी पूजा में सपरिवार बैठने का गौरव मिला है. तीर्थ क्षेत्र की ओर से उन्हें भी हार्दिक निमंत्रण मिला है. अंग्रेजों ने 1817 में कई समुदायों को जन्मजात अपराधी जनजाति घोषित कर उन पर क्रूर अत्याचार किये थे. उनमें से एक कैकाडी समुदाय भी था. यह समाज जंगल में जाकर बांस जैसी सामग्री इकट्ठा करता है और टोकरियां व भंडारण डिब्बे बनाता है. गांव से दूर रहने वाला यह समुदाय हमेशा भटकता रहता है, समाज की मुख्यधारा में आने के लिए संघर्ष करता रहता है. इस समाज की प्रगति और बच्चों की शिक्षा के लिए भटके विमुक्त विकास फाउंडेशन के माध्यम से पिछले 30 वर्षों से काम कर रहे महादेवराव गायकवाड़ को परिवार सहित पूजा में बैठने का अवसर मिलना घुमंतू समाज का गौरव है.

चित्र – महादेवराव गायकवाड़ और उनकी धर्मपत्नी निर्मला महादेवराव गायकवाड.

सूची में भिवंडी के मांग गारुड़ी युवा परिवर्तन समाज सेवा संगठन के दीपक लोंढे का नाम भी है. कूड़ा बीनने वाले मांग गारुड़ी समुदाय के बच्चों को शिक्षित करने का काम दीपक लोंढे कई वर्षों से कर रहे हैं. समाज में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं. तुलजापुर में वडार समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए पिछले 30 वर्षों से काम कर रही भरतबाई देवकर और हिंगोली में नाथ जोगी समाज के कार्यकर्ता नारायण बाबर को भी समारोह में आमंत्रित किया गया है. मरीआई (कडकलक्ष्मी) समुदाय देवी के रथ को अपने सिर पर रखकर घूमता है. कई वर्षों तक समुदाय को सरकार की घुमंतू सूची में शामिल होने के लिए संघर्ष करना पड़ा. सरकारी स्तर पर समुदाय की चिंता के लिए बाध्य करने वाले पेनुर स्थित दगडू निंबालकर के काम और समाज को प्रतिनिधित्व देने का विचार तीर्थ क्षेत्र ने किया, यह वास्तव में उत्साहजनक है.

मनुष्य का अंत यानी श्मशान है. मसनजोगी समुदाय, जो चिंता करता है कि क्रियाकर्म ठीक से हो और धर्म का स्मरण रहे, उपेक्षित था. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने समुदाय को ध्यान में रखते हुए मसानजोगी समुदाय के प्रमुख कार्यकर्ता लक्ष्मण मुकुटमोरे को आग्रहपूर्वक निमंत्रण भेजा है. निमंत्रण से पूरे मसानजोगी समाज में खुशी का वातावरण है. साथ ही रामोशी समुदाय के सक्रिय कार्यकर्ता स्व. भीमराव गस्ती के पुत्र सुरेश गस्ती और पारधी विकास परिषद के अध्यक्ष बबनराव गोरामन को भी तीर्थ क्षेत्र की ओर से निमंत्रण मिला है. अ.भा. पाथरवड समाज महासंघ के केंद्रीय अध्यक्ष भास्करराव बलकार (सिंदखेड़ राजा) भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे. सरोदी समाज से भीखूजी इदाते (घुमंतू आयोग के पूर्व अध्यक्ष), डॉ. सुवर्णा रावळ, अनिल फड़ को भी निमंत्रण आया है. इस आत्मीय निमंत्रण से पूरा घुमंतू समाज भावुक हो गया है. यह घटना घुमंतू समाज की उन्नति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी.

सभी आयोजनों और निमंत्रणों को केवल धार्मिक आयोजनों की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए. आज वास्तविक अर्थों में समुदायों के बीच दूरियां कम होने लगी हैं. गांव से बाहर रहने वाला घुमंतू समुदाय सही मायनों में गांव में आ गया है. प्रभु रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह का अक्षत निमंत्रण लेकर रामभक्त हिन्दू बस्तियों तथा पालों तक जा रहे हैं. यह एक ऐतिहासिक क्षण है. यह ऐतिहासिक क्षण घुमंतू लोगों के उज्ज्वल भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा. हम सब घुमंतू समाज के आनंद में सहभागी बनें और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रयास करें, यह प्रभु श्रीराम की इच्छा है. यह वास्तव में घुमंतू समाज के जीवन में स्वर्णिम दिवस है.

राहुल चव्हाण

लेखक भटके विमुक्त विकास परिषद के महाराष्ट्र राज्य प्रमुख हैं.

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