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प्रभु श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से विश्व में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ – रामदत्त जी चक्रधर

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महाविद्यालयीन विद्यार्थी स्वयंसेवकों का प्रकट कार्यक्रम सम्पन्न

उज्जैन. अखिल भारतीय अधिकारी प्रवास के निमित्त उज्जैन विभाग के महाविद्यालयीन विद्यार्थी स्वयंसेवकों का प्रकट कार्यक्रम उत्कृष्ट विद्यालय के सामने स्थित शास्त्रीनगर खेल मैदान पर आयोजित किया गया.

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर जी ने कहा कि यह कालखंड बहुत महत्त्व का कालखंड है. प्रभु श्री रामलला जी की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में 22  जनवरी को संपन्न हुई. इससे न केवल भारत अपितु सारी दुनिया के अंदर एक आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ है. ऐसे समय में महाविद्यालयीन छात्रों का प्रकट कार्यक्रम हम सब लोगों के लिए प्रेरणादायी है. सब प्रकार की प्रतिकूलताओं में दुनिया को दिशा देने वाला, मार्गदर्शन करने वाला हमारा भारत वर्ष रहा है. वैसा भारत फिर से बने, उसके लिए गत 98 वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की साधना चल रही है. 1925 में जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रारम्भ हुआ, तब स्वयंसेवक के नाम पर एक ही स्वयंसेवक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी थे. आज जब 2024 में विचार करते हैं तो लाखों स्वयंसेवक हैं. इसी मालवा प्रांत में 2013 में इंदौर में एकत्रीकरण हुआ था, उसमें प्रांत से ही लगभग एक लाख स्वयंसेवक उपस्थित हुए थे. देशभर में ऐसे लाखों स्वयंसेवक हैं. संगठन के नाम पर पहले एक ही संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ था. आज देश के अंदर स्वयंसेवकों द्वारा चलने वाले 40 से अधिक संगठन राष्ट्रव्यापी स्तर के चल रहे हैं. आज 65 हजार शाखाएं देशभर में चल रही हैं. उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं अपना देश बहुत बड़ा है. जैसा भारत का गौरवशाली अतीत था, वैसा भारत फिर से बनना चाहिए. इसके लिए हम सब प्रयत्नशील हैं.

कार्यक्रम अध्यक्ष अवंतिका विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति डॉ नितिन राणे जी ने अध्यक्षीय उद्बोधन दिया.

रामदत्त चक्रधर जी ने कहा कि आज दुनिया की जो परिस्थिति है, उसमें रूस यूक्रेन युद्ध चलते- चलते लगभग 2 साल से ज्यादा हो गया. उसके बाद फिलिस्तीन और इजराइल का युद्ध शुरू हो गया. कोई न कोई देश किसी न किसी के साथ खड़ा हुआ दिखाई देता है. लेकिन भारत न किसी के पक्ष में है, न विपक्ष में. भारत केवल सत्य के साथ है. जो सबको साथ लेकर चल सकता है, उसके साथ है. इसलिए आज दुनिया को लगता है कि भारत को मध्यस्थता करनी चाहिए. भारत का चिंतन है – वसुधैव कुटुंबकम अर्थात सारी पृथ्वी ही हमारा परिवार है. भारत केवल अपने बारे में विचार नहीं करता. भारत सम्पूर्ण विश्व का विचार करता है. य़ह केवल शब्द नहीं, प्रत्यक्ष व्यवहार में भी दिखता है. भारत ने कभी भेदभाव नहीं किया. भारत जो बोलता है, वह करके भी दिखाता है. आज भारत सैन्य दृष्टि से शक्तिशाली हुआ है. आर्थिक और तकनीकी क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहा है.

दुनिया में हिन्दुत्व का प्रभाव बढ़ रहा

सह सरकार्यवाह ने कहा कि भारत का तत्व ज्ञान और चिंतन सब श्रेष्ठ है. आज हिन्दुत्व का प्रभाव भी दुनिया के अंदर बढ़ता हुआ दिखाई देता है. पहले हिन्दू को दोयम दर्जे का नागरिक कहते थे. आज न केवल भारत, बल्कि सारी दुनिया के अंदर हिन्दुत्व का प्रभाव दिखाई देता है. एक कालखंड था, जब लोग कहते थे भगवा तो आतंकवाद है. भगवा आतंकवाद का प्रतीक नहीं, अपितु भगवा हमारे देश की पवित्रता का प्रतीक है. दुनिया में हिन्दू संस्कृति का बढ़ता प्रभाव इस बात द्योतक है.

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