भारतीय खिलाड़ियों ने चीन में आयोजित एशियन गेम्स में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 107 पदक जीते. एशियन गेम्स में पदक जीतने वाले खिलाड़ी लंबे संघर्ष को पार कर यहां तक पहुंचे हैं. आज कहानी उस खिलाड़ी की जिसने अपनी पारिवारिक मुश्किलों से लड़ते हुए एशियन गेम्स में रजत पदक जीता. ऐश्वर्या मिश्रा ने एशियन गेम्स में, 4×400 मीटर की दौड़ में रजत पदक जीतकर परिवार सहित देश का नाम रोशन किया.
ऐश्वर्या मिश्रा के पिता का नाम कैलाश मिश्रा है, जो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और वर्तमान में मुंबई के दहिसर में रहते हैं. कैलाश मिश्रा फल और सब्जी की एक छोटी सी दुकान चलाते हैं, लेकिन उनका सपना बेटी को आगे बढ़ते देखने का है. उनके प्रयासों के कारण ही आज ऐश्वर्या इस ऊंचाई तक पहुंची हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई में 10 बाय 10 के एक छोटे से कमरे में अपने परिवार के साथ रहने वाले कैलाश मिश्रा ने बेटी ऐश्वर्या को पैसे उधार लेकर एक महंगा जूता खरीदकर दिया था, ताकि उनकी बेटी उसे पहनकर दौड़ने का अभ्यास कर सके. ऐश्वर्या उस जूते के फटने के बाद भी उसे पहनकर अभ्यास करती थी. एक ऐसे कोच और एथलीट ट्रेनर की नज़र ऐश्वर्या पर पड़ी, जो उनकी सफलता की सीढ़ी बन गए.
ऐश्वर्या के पिता ने अभी तक उन फटे हुए जूतों को संभालकर रखा है. ऐश्वर्या मिश्रा ने 11 साल की उम्र से ही एथलीट बनने की ठान ली थी. अपने पिता के साथ उसने इतना परिश्रम किया कि उनका छोटा सा घर मेडल्स से भर चुका है. मुंबई के जिस झुग्गियों वाले क्षेत्र में ऐश्वर्या का परिवार रहता है, आज वहां रहने वाले सभी लोग भारत की इस बेटी पर गर्व कर रहे हैं. ऐश्वर्या की मां ने कहा कि, “उनके परिवार ने जो भी मजबूरियां, और परेशानियां झेली हैं, इस जीत के आगे वो सब फीकी हो गई हैं. हमने 32 महीनों से अपनी बेटी को नहीं देखा था, सिर्फ फोन पर बात हो जाती थी, लेकिन आज उस पर गर्व है.”