नई दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी सी57 के माध्यम से आदित्य एल-1 उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया. इसके साथ ही सूर्य के अध्ययन के मिशन की दिशा में भारत ने अपना कदम बढ़ा दिया है. आदित्य एल-1 चार महीने की अवधि में लैग्रेंज-1 बिंदु पर पहुंचेगा, जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के उन्नत क्षेत्र उत्पन्न करते हैं. आदित्य एल-1 मिशन का उद्देश्य सौर हवाओं और सूर्य के वातावरण का अध्ययन करना है. उपग्रह में प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों अर्थात कोरोना का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड हैं. इससे कोरोनल हीटिंग की समस्याओं को समझने में मदद मिलेगी.
आदित्य एल-1 को ले जाने वाला पीएसएलवी सी57 एक्सएल संस्करण है, जिसमें अधिक मात्रा में ईंधन ले जाने के लिए लंबी स्ट्रैप-ऑन मोटरें हैं. पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण का उपयोग 28 सितंबर, 2015 को भारत की पहली अंतरिक्ष खगोल विज्ञान वेधशाला-एस्ट्रोसैट को लॉन्च करने के लिए भी किया गया था.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड ने देश के पहले सौर मिशन, आदित्य एल-1 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी है. आदित्य एल-1 के सफल प्रक्षेपण ने अंतरिक्ष यात्रा में एक नये गौरवशाली अध्याय की शुरूआत की है. यह उपलब्धि सौर प्रणाली को समझने में निश्चित रूप से महत्वपूर्ण योगदान देगी.
PSLV-C57/Aditya-L1 Mission:
The launch of Aditya-L1 by PSLV-C57 is accomplished successfully.
The vehicle has placed the satellite precisely into its intended orbit.
India’s first solar observatory has begun its journey to the destination of Sun-Earth L1 point.
— ISRO (@isro) September 2, 2023