गया (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि भारत को हजार वर्षों के संघर्ष के बाद स्वाधीनता मिली है. इस स्वतंत्रता का उद्देश्य चिर-पुरातन राष्ट्र को पुनः वैभवशाली बनाना है. पूरे भारतवर्ष को एक समाज के रूप में प्रतिष्ठित करना संघ की सोच है. संघ इसी के लिए नित्य साधना कर रहा है. सरकार्यवाह जी गया के गांधी मैदान में आयोजित विजयादशमी उत्सव में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि प्रत्येक समाज, राष्ट्र और जन समूह को अपना इतिहास ठीक प्रकार से समझना चाहिए. जो समाज या राष्ट्र अपने इतिहास की गलतियों से सीख नहीं लेता, उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक पूजनीय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने इतिहास की गलतियां पुनः न हो, इसके लिए संघ की स्थापना की. डॉ. हेडगेवार ने विक्रम संवत् 1982 (तदनुसार 1925 ई. सन्) के विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना की. इस दिन राम ने रावण की और दुर्गा ने महिषासुर का वध कर धर्म राज्य की स्थापना की थी. ऐसे श्रेष्ठत्तम कार्य का संदेश देने के लिए इस दिन का चयन किया गया था. धर्म मार्ग पर चलना प्रत्येक के लिए आवश्यक है.
उन्होंने समरसता का आग्रह करते कहा कि ईश्वर की प्रत्येक कृति में उनका अंश है. समाज को सोचना चाहिए कि हम सभी बंधु हैं. हममें से कोई अछूत नहीं है. समाज के सभी लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हमको चलना होगा. ये नहीं सोचना है कि कौन किस जाति का है? झोपड़ी में जन्म लेने वाला व्यक्ति हो या महल में पैदा लेने वाला व्यक्ति, सबमें परमात्मा का अंश है. यह हमारी सनातन संस्कृति है. इस संस्कृति को तोड़ने के लिए लोग एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं, लेकिन इस श्रेष्ठ परम्परा और संस्कृति के वाहक अलग-अलग हैं. हम लोगों को एक साथ मिलकर कार्य करना होगा, तभी टुकड़े-टुकड़े गैंग परास्त हो पाएगा.
विजयादशमी कार्यक्रम में सरकार्यवाह जी के उद्बोधन के बाद स्वयंसेवकों ने पथ संचलन भी निकाला. कार्यक्रम में सह विभाग संघचालक सियाशरण प्रसाद एवं नगर संघचालक अभय सिंबा थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता गया की प्रसिद्ध व्यवसायी एवं समाजसेवी उषा डालमिया जी ने की.