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मदनदास जी के दिए कार्यमंत्र के अनुसार कार्य आगे बढ़ाएंगे – डॉ. मोहन जी भागवत

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पुणे. अपने संपर्क में आए हुए हर व्यक्ति को विचारों और आंतरिक स्नेह से प्रेरित कर किसी न किसी काम में, सामाजिक कार्य में सक्रिय करने का बहुत बड़ा कार्य मदनदास जी ने किया. उनकी दी हुई सीख पर आचरण करते हुए काम बढ़ाना, यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी. इन शब्दों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने मदनदास जी देवी को मंगलवार को श्रद्धांजलि समर्पित की. उन्होंने कहा कि हम मदनदास जी के दिए हुए कार्यमंत्र के अनुसार कार्य आगे बढाएंगे.

ज्येष्ठ प्रचारक तथा संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह मदनदास जी देवी का 24 जुलाई को प्रातः बेंगलुरु में निधन हो गय़ा था. उनका पार्थिव आज सुबह पुणे लाया गया. मोतीबाग स्थित कार्यालय में अंतिम दर्शन हेतु रखा गया था. उसके बाद वैकुंठ शमशान भूमि में मदनदास जी के भतीजे राधेश्याम देवी ने अंतिम संस्कार किए.

सरकार्यवाह दत्तात्रेय जी होसबाले, प्रांत संघचालक नानासाहेब जाधव, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, चंद्रकांत दादा पाटील, भाजपा के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले, जिलाधिकारी डॉ. राजेश देशमुख, नगर निगम आयुक्त विक्रम कुमार, पुलिस आयुक्त रितेश कुमार, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेश गोसावी आदि उफस्थित रहे.

सरसंघचालक जी ने कहा कि, मदनदास जी देवी व्यक्ति के मन को छू जाते थे. जीवन को योग्य दिशा देने वाले वे अभिभावक थे. संगठन और मनुष्य को जोड़ने का काम करते समय काफी कुछ सहन करना पड़ता है. यह आसान नहीं है. ऐसे समय में आंतरिक ज्वलन सहन करते हुए भी उन्होंने किसी स्थितप्रज्ञ की तरह आयुष्य व्यतीत किया. जाते समय भी वे आनंददायी और आनंदी थे.

मदनदास जी देवी के जाने से मन में संमिश्र भावना है. जन्म-मृत्यु सृष्टि का नियम है. जो हजारों-लाखों लोगों को अपनेपन से बांधता है. ऐसे व्यक्ति के जाने का दुख सर्वव्यापी होता है. समाज जीवन के विविध क्षेत्रों के व्यापक जनसमुदाय को भी दुख हुआ है. उन्होंने केवल संगठन का काम नहीं किया, बल्कि मनुष्य जोड़ने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है. व्यक्ति के मन को छूने की कला उन्हें अवगत थी. वे कार्यकर्ताओं को अपना मानते थे. उन्हें संभालते थे. मैं जब उनके संपर्क में आया, तब भी मैंने यह अनुभव किया. बाल आयु की शाखा के मित्रों से लेकर विभिन्न संगठनों के प्रमुखों तक के कार्यकर्ताओं से उनका निकट संपर्क था. वे सबकी चिंता करते थे. हर एक की उन्हें पूरी जानकारी होती थी.

उन्होंने कहा कि मदनदास जी का स्नेहस्पर्श हुआ यह मैं अपनी कृतार्थता मानता हूं. मदनदास जी संगठन और विचारों के पक्के थे. किसी भी व्यक्ति का मूल्यांकन करते समय वे यह ध्यान रखते थे कि व्यक्ति का अवमूल्यन नहीं होना चाहिए. यशवंतराव केलकर से आदर्श लेकर उन्होंने काम बढ़ाया. मनुष्य को मोह बिगाड़ता है. इस सबके पार जाकर ध्येय के प्रति समर्पित कार्यकर्ता उन्होंने तैयार किए. उनसे काफी कुछ सीखने जैसा था. उनका स्थान कोई नहीं ले सकता. लेकिन मेरे जाने के बाद यह काम बिना रूके आगे बढ़ता जाए, यह सीख उन्होंने दी है. अस्वस्थता के चलते पिछले कुछ वर्षों से सक्रिय काम में न होते हुए भी उनमें अकेलापन नहीं आया था. वे अत्यंत स्थितप्रज्ञ थे. अंतिम क्षण भी वे हंसमुख रहे. ध्येय के प्रति क्रियाशील समर्पण से उपजी यह प्रसन्नता थी. डॉ. भागवत ने कहा कि कार्य का जो मंत्र उन्होंने हमें सिखाया है, उसी के अनुसार आगे बढ़ते जाना, यही उनके प्रति श्रद्धांजलि होगी.

संगठन के दर्शन को विकसित किया – मिलिंद मराठे

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व अध्यक्ष मिलिंद मराठे ने कहा कि मदनदासजी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का वैचारिक आधार बिछाने और कार्यकर्ताओं में संगठन के दर्शन को विकसित करने का बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया. उन्होंने संगठन को वैचारिक आधार दिया. कार्यकर्ताओं से उनका रिश्ता पारिवारिक था. वे संगठन में कार्यकर्ता के काम की ही नहीं, बल्कि उसके पूरे जीवन की परवाह करते थे. उनकी तीक्ष्ण बुद्धि, प्रेमपूर्ण स्वभाव और आत्मीयता इन गुणों के चलते देश में हजारों कार्यकर्ता तैयार हुए.

मदनदास जी सबके सहयोगी – जे. पी. नड्डा

मदनदासजी ने देश के हजारों कार्यकर्ताओं को कर्म की दृष्टि दी, उन्हें जीवन की दिशा दी, उन्हें संस्कार दिये और जीवन को उद्देश्य दिया. सभी युवाओं को हमेशा यह महसूस होता था कि वे उनके वरिष्ठ सहकर्मी हैं. वे हमेशा ऐसे किसी भी व्यक्ति के लिए तत्पर रहते थे जो उनका मार्गदर्शन चाहता था. हमने उनसे सीखा है कि संगठन के सामने कई कठिनाइयां आने पर भी संगठन के विचार को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने संगठन विज्ञान का गहन अध्ययन किया था. वह कार्यकर्ताओं को यात्रा कैसे करनी है, बैठकें कैसे करनी है, बातचीत कैसे करनी है, ऐसी कई बातें सिखाते थे. उनके बताए रास्ते पर चलते रहना और उस रास्ते को मजबूत करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

मोतीबाग में अंतिम दर्शन – संघ कार्यालय में सरसंघचालक व सरकार्यवाह द्वारा आदरांजली

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह मदनदास जी देवी के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन हेतु मंगलवार को साधारण कार्यकर्ताओं से लेकर उच्चपदस्थ मंत्रियों तक सभी स्तरों के सैकड़ों नागरिक उपस्थित रहे. अंतिम संस्कार के लिए वैकुंठ शमशान भूमि में ले जाने से पूर्व उनका पार्थिव शरीर मोतीबाग संघ कार्यालय में रखा गया था. अनेक दशकों से उनके घनिष्ठ सहकारी रहे लोगों से लेकर, जिन्हें उन्होंने दीर्घ समय तक मार्गदर्शन किया ऐसे कार्यकर्ता, तथा रा. स्व. संघ और संबंधित संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारी भी अंतिम दर्शन लेने आए. इस अवसर पर मदनदास जी के भाई खुशालदास देवी, भगिनी और परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित थे. मदनदास जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में सरसंघचालक मोहन जी भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय जी होसबाले, केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेशजी सोनी जी, अनिरुद्ध देशपांडे जी, पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत कार्यवाह डॉ. प्रवीण दबडघाव, पूर्व प्रांत कार्यवाह विनायकराव थोरात, अभाविप के अखिल भारतीय संगठन मंत्री आशीष चौहान, सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय पाचपोर, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे, वरिष्ठ कार्यकर्ता गीताताई गुंडे, गिरीश प्रभुणे आदि शामिल थे.

पुणे, मुंबई, दिल्ली में श्रद्धांजलि सभाएं

मदनदास जी देवी को श्रद्धांजलि समर्पित करने हेतु 31 जुलाई को दिल्ली में, 7 अगस्त को पुणे में और 8 अगस्त को मुंबई में श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जाएंगी.

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