कोलकत्ता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में पश्चिम बंगाल के एक मंत्री की बेटी की नियुक्ति को रद्द कर दिया तथा उसे 41 महीने के कार्यकाल के दौरान मिले वेतन को वापस करने का आदेश सुनाया. न्यायमूर्ति अविजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी अंकिता को नवंबर 2018 से अब तक का वेतन दो किस्तों में उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा करने का निर्देश दिया.
अदालत ने आदेश दिया कि अंकिता अधिकारी को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा अनुशंसित और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा नियुक्त शिक्षक के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. साथ ही अगले आदेश तक उसके स्कूल परिसर में प्रवेश पर भी रोक लगा दी. पहली किश्त 7 जून तक और दूसरी इस साल 7 जुलाई तक चुकानी है.
उच्च न्यायालय ने एक उम्मीदवार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के पश्चात आदेश सुनाया. याचिका में दावा किया गया था कि भर्ती परीक्षा में अधिकारी की बेटी के मुकाबले अधिक अंक हासिल करने के बावजूद उसे नौकरी नहीं दी गई. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसने 77 अंक और अंकिता अधिकारी ने केवल 61 अंक हासिल किए थे. उच्च न्यायालय ने नियुक्ति की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. अदालत ने आदेश दिया कि अधिकारी का पद खाली रहेगा और याचिकाकर्ता को दिया जाएगा.
इससे पहले मंत्री अपनी बेटी की कथित अवैध नियुक्ति को लेकर पूछताछ के लिए सीबीआई कार्यालय पहुंचे. अधिकारी और उनकी बेटी पर आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के अलावा भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.